कहि रहीम दोउन बने, पड़ौ बैल के साथ
कविवर रहीम कहते हैं कि घर का पुरुष किसी दूसरे देवता की पूजा करता है या केवल कमाने में ही उसका मन लगता है और पत्नी भगवान श्रीराम को मानती है तो उनका साथ नहीं बन पाता। उनक यह साथ ऐसा ही जैसे बैल के साथ पड़ा चल रहा हो।
वर्तमान संदर्भ में व्याख्या-आजकल की विषम परिस्थतियों में लोगोंें के घर तनाव का यह भी एक कारण है। वर्तमान भौतिक युग में कठिन होते जा रहे इस जीवन में जहां केवल कमाने का दायित्व पुरुष सदस्यों का है वहां ऐसे तनाव जरूर पैदा होता है। पुरुष तो रोज कमाने के चक्कर में घर से निकल जाते हैं और स्त्री समय निकालकर भगवान की पूजा करती हैं और सत्संग में जाती है। इसके अलावा पुरुषों के मन में यह भी होता है कि यह पूजा वगैरह तो केवल बुढ़ापे में करने का काम है और फिर अपने घर की स्त्री यह सब कर ही रही है तो उसका फल उसे मिलेगा तो हम भी लाभान्वित होंगे। इससे दोनों के बीच एक वैचारिक अंतर पैदा होता है जो दोनों के लिये तनाव का कारण बनता है। इसके अलावा कहीं पुरुष किसी तांत्रिक या सिद्ध के चक्कर में पड़े रहते हैंं पर स्त्री केवल भगवान का भजन करती है वहां यही संकट पैदा होता है। हर घर में स्त्री और पुरुष को एक ही देव की उपासना करना चाहिए। यहां यह बात याद रखना चाहिए कि जैसे देव या इष्ट की पूजा आदमी करता है वैसा ही गुण उसमें आता है। अगर किसी ऐसे देव की जीवंत भावना रखकर आराधना की जायेगी तो हमारा मन प्रफुल्लित हो उठेगा और अगर किसी देव में उसके स्वर्गीय होने का आभास होता है तो उसकी आराधना से हमारा मन भी निराशा और निष्कियता की ओर अग्रसर हो जायेगा और वैसा ही फल भी होता है। अतः स्त्री और पुरुष को एक ही देव को पूजना चाहिए।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप
1 comment:
उसकी आराधना से हमारा मन भी निराशा और निष्कियता की ओर अग्रसर हो जायेगा और वैसा ही फल भी होता है। अतः स्त्री और पुरुष को एक ही देव को पूजना चाहिए।
" oh god, is it true kya, i was not knowing about it that both should worship same god" thanks for sharing.
Regards
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