Saturday, January 19, 2008

संत कबीर वाणी:माया के होते हैं नौ-नौ लंबे हाथ सींग

देखा देखी भक्ति का, कबहूँ न चढ़सी रंग
<विपत्ति पडे यों छाड्सी, केचुली तजत भुजंग

देखा-देखी की हुई भक्ति का रंग कभी भी आदमी पर नहीं चढ़ता और कभी उसके मन में स्थायी भाव नहीं बन पाता। जैसे ही कोई संकट या बाधा उत्पन्न होती है आदमी अपनी उस दिखावटी भक्ति को छोड़ देता है। वैसे ही जैसे समय आने पर सांप अपने शरीर से केंचुली का त्याग कर देता है।


कोटि करम लगे रहै, एक क्रोध की लार
किया कराया सब गया, जब आया हँकार


रेशम के कीडे द्वारा जैसे अत्यंत लंबा रेशम का धागा बँटा जाता है, उसी प्रकार एक क्रोध ही करोडों पाप कर्मों को उत्पन्न करता है। जब मनुष्य को अंहकार आ जाता है तो उसके पुण्य, तप, ज्ञान, गुण आदि सभी नष्ट हो जाते हैं।

माया माथै सींगड़ा, लम्बे नौ-नौ हाथ
आगे भारे सींगड़ा, पाछै मारै लात


माया के माथे पर मद और अंहकार रुपी, लोभ और अज्ञान रूपी सींग होते हैं जो नौ-नौ हाथ लम्बे होते हैं। आते समय वह सींग मारती और जाते समय लात मारती है।

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels