Saturday, January 29, 2011

हमेशा बोलो और लिखो ‘बहुत बढ़िया’-हिन्दी चिंत्तन आलेख (hahesha bolo aur likho bahut badhiya or very nice-hindi chitan)

खुश रहना भी एक कला है जो हमारे अंतर्मन में विराजमान रहती है। हम अक्सर आपनी आखों से दूसरों के दोष देखने, कानों से दूसरे का अहित सुनने और वाणी से दूसरे के लिए निंदात्मक वाक्य कहने के आदी हो जाते हैं। यह आदत भले ही हमें अच्छी लगती है पर कालांतर में यह हमारे लिये मानसिक तनाव का ऐसा कारण बनर जाती है कि हमें कोई अच्छी चीज दिखाई नहीं देती। यहां तक सुखद वस्तुओं से स्वतः घृणा होने लगती है। हमारा स्वभाव नकारात्मक हो जाता है और इससे हम स्वयं ही नकारा हो जाते हैं।
आपने देखा होगा कि कुछ लोग हमेशा ही दूसरों से विनम्रता से पेश आते हैं और हमेशा ही अन्य लोगों को ‘बहुत अच्छा’ या ‘बहुत बढ़िया’ उनको प्रेरित करते हैं। भले ही लोग उनको चाटुकार या झूठा कहें पर सच यह है कि ऐसे लोग सकारात्मक विचाराधारा के होते हैं और अपनी जिंदगी आनंद से जीते हैं।
इस विषय पर मनु महाराज कहते हैं कि
---------------------
भद्र भद्रमिति ब्रूयाद् भ्रदमित्येव वा वदेत्।
शुष्कवैरं विवादं च न कुर्यात्केनचित्साह।।
‘‘सभ्य आदमी को हमेशा दूसरे के काम पर ‘बहुत बढ़िया‘ ‘बढ़िया’ ‘बहुत अच्छा’ या अच्छा जरूर बोलना चाहिये। किसी से व्यर्थ विवाद और शत्रुता नहीं करना चाहिये। न ही रूखा व्यवहार कर दूसरे को हतोत्तासहित करना चाहिये।’’
इस संसार में सभी लोग लोकप्रिय नहीं होते। कुछ तो अपने दृष्कृत्यों की वजह से निंदा का पात्र बनते हैं। अपने स्वार्थ में मस्त रहने वाले लोगों को कौन सम्मान देता है? समाज में वही मनुष्य लोकप्रिय होता है जो दूसरों को भी अच्छे काम के लिये प्रेरित करता है। इसलिये हमेशा ही हर पल दूसरे के काम पर उसकी प्रशंसा में बहुत अच्छा या अच्छा जरूर बोलना चाहिये। कहीं लिखकर किसी के कार्य की प्रशंसा करनी हो तो उसके लिये बहुत बढ़िया या बढ़िया शब्दों के उपयोग  की आदत डालना चाहिये। इससे न हमारा स्वभाव सकारात्मक होगा बल्कि दूसरों के बीच लोकप्रियता भी मिलेगी।
..........................................
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
४.शब्दयोग सारथी पत्रिका
५.हिन्दी एक्सप्रेस पत्रिका 
६.अमृत सन्देश  पत्रिका

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels