Wednesday, September 21, 2016

चाहने वाले तो इतंजार करते मगर चहेते ही रास्ता बदल जाते हैं-दीपकबापूवाणी (Chahehte Rasta badal jate-Deepak Bapu Wani)


अच्छी खबर का इंतजार रहता, बुरी भी हो तो भी इंसान सहता।
‘दीपकबापू’ जिंदगी में रहते मस्त, वही जो सहज धारा में बहता।।
-------------
तख्त पर जो जमा मस्त हैं, लाचार खड़े देखने वाला पस्त हैं।
‘दीपकबापू’ मतवाले बने पहरेदार, नैतिकता का सूर्य अब अस्त है।।
--------------
सभी ने रख लिये अपने वेश, पता न लगे कौन सेठ कौन दरवेश।
‘दीपकबापू’ कहां बनायें नया निवास, मायावी हड़प चुके सभी देश।।
---------------
चिंताओं मेें थमी जिंदगी वादों पर मरने के लिये बेकरार है।
सपनों का सफर थमता नहीं, सच की राह में बड़ी दरार है।
---------------
खतरा घर में तो बाहर भी है, कब तक किससे जान बचायेंगे।
चिंताये जब तक पीछा करेगी कैसे जिंदगी का जश्न मनायेंगे।।
--------
आंख और कान बंद कर देखा, खामोशी भी खूबसूरत लगी थी।
याद नहीं रहीं वह सूरत और सीरते जो कभी बदसूरत लगी थी।
---------------
जिंदगी के अर्थ से लोग हार जाते हैं, तब शब्द उनका मन मार जाते हैं।
 ज्ञान पथ पर जब चलना लगे कठिन लोग साथ अपने तलवार लाते हैं।
--------------------
चाहने वाले तो इतंजार करते मगर चहेते ही रास्ता बदल जाते हैं।
दिल से सोचने वाले लोग दिमाग के खेल में कभी नहीं चल  पाते हैं।
--------------------
अपने लिखे पर बहुत इतराते हैं, चार शब्द ही कागज पर छितराते हैं।
‘दीपकबापू’ अमन के बने फरिश्ते, कातिलों का नाम फरिश्ता दिखाते हैं।।
------------------
अपने सत्य से सभी लोग मुंह चुराते, झूठ का झंडा हाथ में लेकर झुलाते।
दीपकबापू ख्याली पुलाव रोज पकाते, जलाकर हाथ फिर मददगार बुलाते।।
--------------------
तमाम उम्र गुजारते अपनों को संभालते, कूड़ेदान में पड़े सपनों को खंगालते।
‘दीपकबापू’ सबकी खुशी की करें कामना, बहाने से अपना मतलब संभालते।।
------------------
दिल में जगह नहीं घर बुलाते, स्वागत में सिर अहंकार में झूलाते।
‘दीपकबापू’ खुश होना भूल गये, बेदर्द लोग अपना दर्द यूं सुलाते।।
----------------
पराये दर्द में खुशी तलाश करते, अपने दिल में लोग नाश भरते।
दीपकबापू अपना अस्तित्व भूले, स्वय को नाकाम निराश करते।।
--------------------
किसी का साथ छूटने की चिंता ने इतना कभी नहीं डराया।
इंतजार से नाता टूटने की खबर से जितना दिल थर्राथर्राया।।
----------------
जिंदगी का दर्शन हर कोई अपने ढंग से सुनाता है।
कोई होता है दिलवाला जो जिंदा गीत गुनगनाता है।।
------------
जिंदा के दर्द का इलाज नहीं, लाशों को दवा बांटते हैं।
भरोसा  बेचने वाले सौदागर धोखे में फायदा छांटते हैं।
-----------------
हमने तोे हंसते हुए शब्द कहे, गलत अर्थ लेकर वह रोने लगे।
हमदर्दी जताना अब है महंगा, दिल की भाषा लोग खोने लगे।
-------------------
सेवकों के अभिनय से बनते समाचार, बहसों पर कुतर्कों का भार।
गंभीर लगते सारे विषय, हास्य रस का बंटता साथ में अचार।।
-----------------
हम तो दर्द बांटने गये उन्होंने समझा मजाक उड़ाने आये हैं।
कैसे समझाते उनके साथ हम सच्ची हमदर्दी जुड़ाने आये हैं।
-------
कटी पतंग की तरह हो गये लोग, राख चमकाये चेहरा अंदर पलें रोग।
‘दीपकबापू’ कृत्रिम सौंदर्य पर फिदा, अमृत छाप विष का करें भोग।।
----------------------
अपनी वाणी की करें तीखी धार, बेइज्जत लफ्ज का होता वार।
दीपकबापू अब ढूंढ रहे हमदर्दी, अपने दिल के जज़्बात दिये मार।।
-----------------
हंसी की भंगिमा भी बनी व्यापार, ठिठोली बना देती बड़ा कलाकार।
‘दीपकबापू’ विषय समझते नहीं, अपनी पीठ थपथपाकर करें बेड़ा पार।।
------------------
सच कहो तो लोग बुरा माने, झूठ बोलना हम नहीं जाने।
बोलो तो शब्द का अर्थ समझें नहीं खामोशी में मिलें ताने।
-----------

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels