छाजन भोजन हक्क है, और अनाहक लेय
आपन दोजख जात है, औरों दोजख देय
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि प्रत्येक मनुष्य को जीवन निर्वाह के लिये वस्त्र और भोजन पाने का अधिकार है पर जो अनुचित रूप से अपेय या नशीले पदार्थ लेता है उसे नरक में जाना पड़ता है।
गऊ जो विष्ठा भच्छई, विप्र तमाखू भंग
सस्तर बांधे दरसनी, यह कलियुग का रंग
संत कबीर दास जी कहते हैं कि जब गाय गंदगी खाने लगे, विद्वान अनेक प्रकार के व्यसर करने लगे और जब दर्शन करने वाले साधु अस्त्र-शस्त्र बांधने लगे तब समझ लो घोर कलियुग आ गया।
मद तो बहुतक भांति का, ताहि न जानै कोय
तनमद, मनमद जातिमद, मायामद सब लोय
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि मद तो बहुत प्रकार का होता है पर सभी इस बात को नहीं जानते। यह मद हैं शरीर, मन, जाति और माया का मद।
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago