भारतीय प्राचीन ज्ञान की प्रशंसा व उसके अनुयायी होने का दावा करना तब तक
व्यर्थ है जब तक हम पाश्चात्य राज्य प्रबंध नीति अपनाते हैं। जब हम यह कहते हैं कि
हमारे प्राचीन ग्रंथ ज्ञान का भंडार है तब प्रगतिशील विद्वान देश के राज्यप्रबंध
की कमियां दिखाकर सवाल करते हैं। हमारा अध्यात्मिक दर्शन व्यक्ति में सहजभाव के
निर्माण के साथ राज्य प्रबंध के वैज्ञानिक सिद्धांतों से भरा है पर उस पर नहीं
चलते। अगर हम भारतीय अध्यात्मिकवादी होने का दावा करते हैं तो यह भी आवश्यक है कि
हम उसमें राज्य प्रबंध की बतायी गयी नीतियों भी पर चलें। हम बात तो अपने प्राचीद दर्शन की करते हैं जबकि
जबकि हमारा राज्य पाश्चात विचार तथा
नीतियों पर आधारित है। यह विरोधाभास ही
सबसे बड़ी समस्या है। अंतर्जाल पर भी भारतीय धार्मिक नीतियों से सहमत लोग लिखते हैं
पर कोई सम्मानजनक स्थिति न होने से उन्हें निराश भी होना पड़ता है। हां, इतना जरूर है कि
इंटरनेट पर जो लोग अपने पाठ लिखने का पूरा आनंद उठाते हैं वह किसी की परवाह नहीं
करते। जिन लोगों को परवाह होती है वह पसंद
कम होने या टिप्पणियां कम मिलने से निराश होते हैं। उन्हें इससे बचना चाहिये।
उत्तर प्रदेश में गंगा तथा यमुना में गणेश जी की प्रतिमा विसर्जित करने पर विवाद चल रहा है। इन दोनों
नदियों के प्रदूषित होने की चर्चा से दशकों से चर्चा में है और लग अब इनकी
स्वच्छता को लेकर गंभीर हो गये हैं। ऐसे में गंगा तथा यमुना में गणेश प्रतिमा विसर्जन करने की जिद्द कर
प्रशासन से भिड़ने वाले समझ लें कि उन्हें सामान्य हिन्दू का समर्थन नहीं मिल सकता।
गणेशजी की भक्ति करना पवित्र काम है पर इससे उनकी प्रतिमा गंगा और यमुना नदियों में विसर्जित कर जल प्रदूषित करने का अधिकार
नहीं मिल जाता। अगर प्रशासन कहता है कि गणेशजी की प्रतिमा गंगा और यमुना नदी में
विसर्जित करना ठीक नहीं तो उसे न मानना अधर्म ही है। गणेशजी विवेक का प्रतीक हैं
और उनकी प्रतिमा का गंगा और यमुना में
विसर्जित करने की जिद्द कर प्रशासन से भिड़ना अविवेक का प्रमाण है। वैसे एक प्रश्न
तो उठेगा कि सन्यासी रंग के वस्त्र धारण कर गणेशी जी की प्रतिमा गंगा में विसर्जित
करने की जिद्द कर कौनसे नियम का पालन कर रहे हैं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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