Friday, December 14, 2007

ब्लोगर चाय की दुकान का नहीं तो क्या ब्यूटी पार्लर का उदघाटन करेगा

वह ब्लोगर अपने घर से पैदल्-पैदल सड़क से जा रहा था और एक जगह चायकी दुकान देखकर रुक गया उसने देखा कि दुकान के बाहर रिबन बंधा था पर उसने इस पर ध्यान नहीं दिया और वहां खडे बीडी पी रहे एक आदमी से कहा-''बंधुवर, एक कट चाय बना दो।''
''अभी नहीं बाबूजी''-उस आदमी ने बीडी का धूआं उडाते हुए कहा-''अभी इस दुकान का इनोग्रेशन नहीं हुआ। जब प्रापर ढंग से इनोग्रेशन हो जायेगा तभी काम शुरू करेंगे।''
ब्लोगर ने पूछा -''कब होगा उदघाटन?''
वह फ़िर धूआं छोड़ते हुए बोला- ''उदघाटन नही इनोग्रेशन। आप नैक रुक जाओ हमारे बाबूजी इनोग्रेशन करने वाले को लेने गये हैं। एक बहुत बडे लेखक हैं उनसे यह रिबन कटवाने का काम कराना है।
''उन लेखक महोदय क्या नाम है। और कौन लेने गया है उनको?''ब्लोगर इस फिराक में था कि कुछ मसाला मिल जाये ब्लोग पर लिखने के लिये।
जब उसने नाम बताये तो ब्लोगर के हाथ के तोते उड गये। लेखक के रूप में उसका और उसको लेने गये व्यक्ति के रूप में दूसरे ब्लोगर नाम उसने लिये थे।
ब्लोगर को याद आया कि इसने इस दुकान वाले को उस दूसरे ब्लोगर के घर के आसपास देखा है-उसे यह समझते देर नहीं लगी यह दूकान उसके और ब्लोगर के घर की लगभग बीच की दूरी स्थित है और उसने इस दुकानदार से अपनी जुगाड़ बिठाने के लिए उसका इस्तेमाल करने की योजना बनाई है। अब तो ब्लोगर वहां से खिसकने को हुआ कि किसी तरह इस मुसीबत से निकल जाये। वह अभी कुर्सी से उठा कर ही थोडा चला था कि दूसरा ब्लोगर उसके सामने पहुंच गया और बोला-''वाह यार अच्छा ही हुआ कि तुम यहां मिल गये। अभी मैं तुम्हारे घर से ही वापस लौटा हूं। तुम यार ज़रा इसके चाय की दुकान का इनोग्रेशन कर दो। अपना ही आदमी है। कोई इसके लिये तैयार नहीं हो रहा था मैंने सोचा तुमसे बढिया केंडीडेट और कौन हो सकता है?"
पहले ब्लोगर ने मन ही मन खुश होते हुए कहा-"यार, मैं अदना सा ब्लोगर भला इस सम्मान के योग्य कहां?"
दूसरा ब्लोगर बोला -"चुप हो जाओ। मैने इससे कहा कि तुम बहुत बडे लेखक हो। यह मेरे ससुराल के रिश्ते वाला है और मेरी पत्नि ने उनको ऐसे भर रखा है कि ब्लोगर के नाम से ही चिढ़ने लग्ते हैं।''

पहला ब्लोगर घबडा गया और बोला-"फ़िर तो मैं नहीं करता उदघाटन। अगर कहीं इसे बाद में पता चला तो।"
दूसरा ब्लोगर उसे आश्वासन देते हुए बोला-"नहीं कौन बतायेगा।''
पहले ब्लोगर ने अपने बचाव करने के लिहाज से कहा-''पर क्या तुम्हें ठीक लगता है कि हम किसी चाय की दुकान का उदघाटन करें। अरे कुछ तो ब्लोगरों की इज्जत का ख्याल करो।"

दूसरा ब्लोगर गुस्सा होकर बोला-''धीरे-धीरे ही आदमी प्रगति करता है। वैसे भी क्या कोई ब्लोगर चाय की दुकान का नहीं तो क्या किसी फ़ाईव स्टार ब्यूटी पार्लर का उदघाटन करेगा? एक तो मैं तुम्हारा सम्मान करा रहा हूं और तुम हो कि नखरे दिखा रहे हो।''पहले ब्लोगर ने भी गुस्से से कहा-"तुम खुद ही क्यों नहीं कर लेते?''

दूसरे ब्लोगर फ़िर बडे प्रेम से बोला-''यार मेरा सम्मान तो हो चुका है अब मेरे मन मे यह इच्छा थी कि तुम्हारा सम्मान हो जाये। आओ, चलें अब बहुत टाईम हो गया है।"
पहला ब्लोगर यंत्रवत उसके पीछे उस दुकान पर फिर वापस आया और उसने दुकान का फीता काटा।

वहां मौजूद दोनों दर्शकों ने तालिया बजाईं। दुकान वाले ने चाय बनाई तो तीनों ने पी। पहला ब्लोगर वहां से चला तो दूसरा ब्लोगर पीछे से आया और बोला-"देखो यार, उस बिचारे को कमाई की शुरुआत तो कराते जाओ। तीन चायके उसे बारह रूपये दे दो। वह मेरी इज्जत के कारण मांग तो नहीं पाया"

पहला ब्लोगर्-''पर यार मैने तो एक चाय पी थी।"

दूसरा ब्लोगर बोला-'यार एक दुकान का इनोग्रेशन करने का सम्मान मिलने पर तुम इतना पैसा खर्च नहीं कर सकते। चलो मेरे साथ उसे पैसे दो।

पहला ब्लोगर बोला-''पर मैने तो उसे कट कही थी। तुम तो पूरे तीन कप के पैसे दिलवा रहे हो। कहाँ में दो रूपये कट की चाय पीने आया था और तुम तो बारह रूपये का झटका दिलवा रहे ho।"
दूसरा ब्लोगर''यार कुछ अपनी इमेज का ख्याल करो, अरे इतने बडे ब्लोगर क्या कट चाट पीयेंगे।

पहला ब्लोगर लौट पड़ा और दुकान वाले को बारह रूपये देकर घर की तरह चला तो फ़िर पीछे से दूसरा ब्लोगर आया और बोला-''यार इस ब्लोगर मीट पर भी रिपोर्ट जरूर लिखना।
पहला ब्लोगर गुस्से में बोला-क्या लिखूं यहीं न कि ब्लोगर एक चाय की दूकान का नहीं तो क्या ब्युटी पार्लर का उदघाटन करेगा। ''
दूसरा ब्लोगर उसका गुस्सा देखकर चला गया। उसके जाने के बाद पहले ब्लोगर का गुसा शांत हुआ तब उसे याद आया कि यह तो उससे पूछा नहीं कि इस पर हास्य कविता लिखूं कि नहीं? फ़िर उसने सोचा अगली बार पूछ लूंगा।

नोट-यह एक हास्य व्यंग्य रचना है और किसी घटना या व्यक्ति से कोई लेनादेना नहीं है,अगर किसी की कारिस्तानी से मेल खा जाये तो वही इसके लिए जिम्मेदार होगा।

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