Wednesday, May 20, 2009

चाणक्य नीतिः गुस्सा अपनी ताकत के अनुसार ही करें

सुसिद्धमौषधं धर्म गृहच्द्रिं मैथुनम्।
कुभुक्तं कुश्रुतं चैव मतिमान्न प्रकाशयेत्।।
हिंदी मे भावार्थ-
बुद्धिमान व्यक्ति को चाहिऐ कि वह छह बातें किसी को भी न बताये। यह हैं अपनी सिद्ध औषधि, धार्मिक कृत्य, अपने घर के दोष, संभोग, कुभोजन तथा निंदा करने वाली बातें।
प्रस्तावसदृशं वाक्यं प्रभावसदृशं पिय्रम!
आत्मशक्तिसमं कोपं यो जानाति स पण्डितः।
हिंदी में भावार्थ-
जैसा प्रस्ताव देखें उसी के अनुसार प्रभावपूर्ण विचार मधुर वाणी में व्यक्त करे और अपनी शक्ति के अनुसार ही क्रोध करे वही सच्चा ज्ञानी है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-नीति विशारद चाणक्य के अनुसार मनुष्य को अपने जीवन में वाक्पटु होना चाहिये। समय के अनुसार ही किसी विषय को महत्व को देखते हुए अपना विचार व्यक्त करना चाहिए। इतना ही नहीं किसी विषय पर सोच समझ कर प्रिय वचनों में अपना बात रखना चाहिए। इसके अलावा अपने पास किसी सिद्ध औषधि का ज्ञान हो तो उसे सभी के सामने अनावश्यक रूप से व्यक्त करना ठीक नहीं है। अपने घर के दोष, तथा स्त्री के साथ समागम की बातें सार्वजनिक रूप से नहीं करना चाहिए। इसके अलावा जो भोजन अच्छा नहीं है उसके खाने का विचार तक अपने मन में न लाना ही ठीक है-दूसरे के सामने प्रकट करने से सदैव बचना चाहिए। किसी भी प्रकार के निंदा वाक्य किसी के बारे में नहीं कहना चाहिये।

अगर इतिहास देखा जाये तो वही विद्वान समाज में सम्मान प्राप्त कर सके हैं जिन्होंने समय समय पर कठिन से कठिन विषय पर अपनी बात इस तरह सभी लोगों के के सामने रखी जिसके प्रभाव से न केवल उनका बल्कि दूसरा समाज भी लाभान्वित हुआ। अधिक क्रोध अच्छा नहीं है और जब किसी के बात पर अपना दिमाग गर्म हो तो इस बात का भी ख्याल करना चाहिए कि अपने क्रोध के अनुसार संघर्ष करने की हमारी क्षमता कितनी है। अविवेकपूर्ण निर्णय न केवल हमारे उद्देश्यों की पूर्ति बाधक होते हैं बल्कि उनसे समाज में प्रतिष्ठा का भी हृास होता है।
..........................................
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels