Tuesday, April 7, 2009

भर्तृहरि शतकः तेजस्वी लोग अपना अपमान सहन नहीं करते (hindu dharm and thought)

यद चेतनाऽपिापदैः स्पृष्टः प्रज्वलति सवितुरिनकान्तः।
तत्तेजस्वी पुरुषः परकृत निकृतिं कथं सहते।।

हिंदी में भावार्थ- जब जड़ सूर्यकांतिमणि भी सूर्य की तीव्र किरणों में जल जाती हैं तो तेजस्वी ज्ञानी पुरुष-जो चेतन होता है-भला कैसे किसी के अपमान को सहकर चुप बैठ सकता है?
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-यह अजीब बात है कि जब कहीं किसी मूर्ख और विद्वान में विवाद होता है तो विद्वान जब उसका प्रतिकार क्रोध में करता है तो बीच बचाव करने वाले कहते हैं कि ‘आप तो ज्ञानी हो क्रोध क्यों करते हो?’
अनेक बार ऐसे अवसर हमारे सामने आते हैं जब हम देखते हैं कि तमाम तरह के ज्ञान और अध्यात्म की पूंजी से संपन्न विद्वान अपने ऊपर हुए अपमानजनक शब्दाक्रमण का प्रतिकार करते हैं तब सामान्य लोग उनका उपहास उड़ाते हैं कि ‘देखो कितना ज्ञानी बनता है’। दरअसल यह उनकी अज्ञानता का ही प्रमाण है। सच बात तो यह है कि सामान्य लोग मूर्ख से डरते हैं इसलिये उसे समझाने या धमकाने की बजाय विद्वान, संतों और सहज जीवन व्यतीत करने वाले लोगों का मजाक उड़ाते हैं।
अज्ञानियों, मूर्खों, धनवानों और बाहूबलियों से डरकर उनके आगे सिर झुकाने वाले लोगों के लिये तेजस्वी विद्वान लोगों का मजाक उड़ाना आसान है। लोग यही करते हैं पर भर्तृहरि महाराज कहते हैं कि जब जड़ पदार्थ सूर्य की किरणों से जल जाता है तो तेजस्वी और ज्ञानी आदमी भला कैसे अपना अपमान सह सकता है।
वैसे क्रोध करना अच्छी बात नहीं है पर चाणक्य कहते हैं कि ‘अवसर आये तो सांप की तरह फुफकारो अवश्य’। सभी संाप जहरीले नहीं होते पर अपने ऊपर आक्रमण होने पर फुफकारते हैं। इसलिये अगर तेजस्वी और ज्ञानी व्यक्ति अपने ऊपर आक्रमण होने पर जब उसका क्रोध में प्रतिकार करते हैं तो उस आक्षेप करना अनुचित हैं। यहां यह भी याद रखने वाली बात है कि ज्ञानियों का क्रोध उनको नहीं जलाता क्योंकि वह उसे अपने अंदर अधिक देर ठहरने नहीं देते। इसक अलावा क्रोध करने के बाद वह क्षमा भी प्रदान करते हैं जबकि सामान्य आदमी के लिये यह कठिन होता है। इसलिये तेजस्वी और ज्ञानियों के क्रोध पर उन्हें उनके ज्ञान का वास्ता नहीं दिया जाना चाहिये।
......................
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels