Sunday, April 18, 2010

संत कबीर वाणी-खोटी हाट में गांठ का हीरा न खोलें (sant kabir vani-heera aur hat)

हीरा परखै जौहरी, शब्दहि परखै साध।
कबीर परखै साधु को, ताका मता अगाध।।
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि हीरे की परख जौहरी करता है तो शब्द की परख साधु ही कर सकता है। जो साधु को परख लेता है उसका मत अगाध हो हो जाता है।
हीरा तहां न खोलिए, जहं खोटी है हाट।
कसि करि बांधो गांठरी, उठि करि चलो वाट।
संत शिरोमणि कबीर दास जी के मतानुसार हीरा वहां न खोलिये जहां दुष्ट लोगों का वास हो। वहां तो अपनी गांठ अधिक कस कर बांध लो और वह स्थान ही त्याग दो।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-यहां कबीर दास जी अपनी बात व्यंजना विधा में कह रहे हैं-भारतीय अध्यात्म ग्रंथों की यह खूबी रही है कि उसमें व्यंजना विधा में बहुत कुछ लिखा गया है।
सामान्य अर्थ तो इसका यह है कि आपके पास अगर धन या अन्य कीमती सामान है तो उसे वहां कतई न दिखाओ जहां दुष्ट या बेईमान लोगों की उपस्थिति का संदेह हो। दूसरा यह कि आप अपने ज्ञान और भक्ति की चर्चा वहां न करें जहां केवल सांसरिक विषयों की चर्चा हो रही हो। इसके अलावा उन लोगों से अपनी भक्ति के बारे में न बतायें जो केवल निंदात्मक वचन बोलते हैं या दूसरों में दोष देखते हैं।
आजकल तो यह देखा जा रहा है कि अनेक कथित शिक्षित लोग अपने आपको आधुनिक ज्ञानी साबित करने के लिये भारतीय अध्यात्मिक ज्ञान का मजाक उड़ाते हैं। आप उनको कितना भी समझायें वह समझेंगे नहीं। अतः ऐसे लोगों के सामने जाकर अपने ज्ञान या भक्ति की चर्चा करना सिवाय समय नष्ट करने के अलावा कुछ नहीं है। ऐसे लोगों से किसी भी प्रकार की चर्चा अपने मन तथा विचारों में तनाव पैदा कर सकती है। अतः सत्संगी लोगों के साथ ही विचार विमर्श करना चाहिए।
-------------
संकलक,लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://anant-shabd.blogspot.com
------------------------

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels