भारतीय अध्यात्म दर्शन में श्रीमद्भागवत गीता के बाद भी अनेक संतों ने भी श्रीवृद्धि प्रदान की है-इनमें संत रविदास (रैदास) का नाम भी अत्यंत सम्मानीय है। कहा जाता है कि संतों की जात नहीं पूछी जाना चाहिये। हम जैसे लोग कभी संतों की जात जानना भी नहीं चाहते पर हैरानी इस बात पर हो रही है कि अब संतों की जाति भी बताई जा रही है। एक बार इस लेखक ने अपने एक मित्र से रविदास पर चर्चा करते हुए उनपर किताब न होने की बात कही तो उसने तत्काल अपने घर रखी किताब देने का वादा किया। उसने अगले दिन रविदास पर लिखी किताब प्रदान कर दी। यह उल्लेख करते हुए बुरा लग रहा है कि वह दलित वर्ग से था। उस किताब में रविदास के दलित वर्ग में चेतना लाने के प्रयासों का उल्लेख था। लेखकगणों ने बड़े परिश्रम से उस पर रचनायें लिखीं जो कि साधुवाद के पात्र हैं। अलबत्ता एक बात लगी कि लेखकगण भी जातिवाद से मुक्त नहीं हो पाये। ऐसा लिखा गया कि लगे कि रविदास की भूमिका केवल दलित चेतना तक ही सीमित थी। हम जैसे योग व अध्यात्मिक साधक के लिये यह स्वीकार करना कठिन है कि उन जैसे संत को किसी समाज तक सीमित रखा जाये।
संत रविदास कहते हैं कि
------------धरम की कोइ जाति नाहि, न जाति धर्म के मांहि।रैदास सो चले धर्म पर, करेंगे धर्म सहाय।।हिन्दी में भावार्थ-धर्म की जाति नहीं है और न जाति धर्म मे है। धर्म पथ पर जो चलेगा उसकी धर्म ही सहायता करेगा।
भारतीय प्राचीन ग्रंथों में-वेद, उपनिषद रामायण व मनुस्मृत्ति-दोष देखने वाले अनेक बुद्धिमान लोग रविदास को भले ही दलित चेतना तक ही सीमित रखें पर हमारा मानना है कि उन जैसे संत भारत की उसी अध्यात्मिक परंपरा के संवाहक थे जो कि निरंतर अन्वेषण के साथ ही परिवर्तन की पोषक है। भारतीय अध्यात्मिक परंपरा में रूढ़ता के साथ बना रहना स्वीकार्य नहीं है वरन् समय के साथ मनुष्य को अपना जीवन बिताने के संदेश भी वह देती है। यही कारण है कि अंधविश्वास व अंधभक्ति के विरुद्ध यहां सतत अभियान ऐसे ही महान संत चलाते हैं। समाज भी उन्हें अपना ही मानता है। वेदों के बारे में तो कहा जाता है कि उनकी रचना का न आदि है न अंत-अर्थात समय के साथ अन्वेषण से प्राप्त कोई निष्कर्ष उन्हीं वेदों का हिस्सा है जिन्हें हम पूर्ण मानकर चलते हैं।
ऐसे ही महान संत रविदास को हमारा कोटि कोटि प्रणाम!
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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