Wednesday, January 27, 2016

ट्विटर पर शनि शिंगणापुर में मंदिर में नारी प्रवेश आंदोलन-गर्व से कहो हम लोकतांत्रिक भी हैं-ट्विटर पर वाक्यांश (subject of women Entry in ShaniShingnapur)


             शनि शिंगणापुर मंदिर में महिलाओं को प्रवेश मिलना चाहिये पर अगर वहां के पुजारी यह नहीं चाहते तो उसके विरुद्ध सार्वजनिक आंदोलन करना भी ठीक नहीं हैं। मूलतः हिन्दू अध्यात्मिक ज्ञान स्त्री पुरुष की किसी प्रकार की पूजा निषेध नहीं करता पर ज्ञानी का यह काम नहीं है कि वह दूसरे के कर्मकांडों पर प्रतिकूल टिप्पणी करे। वैसे शनिशिंगणापुर मंदिर में प्रवेश के लिये हो रहे महिला आंदोलन से हिन्दू धर्म की प्रतिष्ठा बढ़ ही रही है।  यह इस बात का प्रमाण है कि हमारे समुदाय में नारियों के लिये भी स्वाभाविक लोकतंत्र है। शनिशिंगणापुर  में नारी प्रवेश के लिये आंदोलन से हिन्दू को विचलित न हों। खुश हों कि हमारे समुदाय में दूसरों की अपेक्षा ज्यादा जागरुकता है। हिन्दू समुदाय में नारियां अपने धार्मिक भेदभाव के विरुद्ध आंदोलन भी कर सकती हैं। अन्य समुदायों से श्रेष्ठ होने का यह एक बड़ा प्रमाण है। अध्यात्मिक योग व ज्ञान साधक के रूप में हमारी राय है कि शनिशिंगणापुर में हेलीकाप्टर से प्रवेश का नाटक रोके नहीं। हमारी धार्मिक सहिष्णुता का प्रमाण होगा। हिन्दू धर्म अपने प्राचीन तत्वज्ञान के कारण इतना शक्तिशाली है कि वह मंदिर में प्रवेश करने या न करने के नाटकों से खतरे में नहीं आता।

हिन्दू समुदाय की महिलायें अपने दायरे में ही तो आंदोलन करेंगी उन्हें दूसरे समुदायों के अंधविश्वासों के विरुद्ध लड़ने के लिये कहना ठीक नहीं। हमें दूसरे समुदायों के अंधविश्वासों पर टिप्पणी करने की बजाय स्वयं अपने ज्ञान के प्रति विश्वास जगाना चाहिये। शनिशिंगणापुर में नारी प्रवेश के लिये आंदोलन करने वालों को दूसरे समुदायों के उदाहरण बताकर मौन रहने के लिये कहना गलत। दिलचस्प! शनिशिंगणपुर में  नयी व पुरानी विचाराधारा की हिन्दू समुदाय की महिलाओं के बीच वाक्युद्ध! गर्व से कहो हम लोकतांत्रिक भी हैं। शनिशिंगणापुर में नारी प्रवेश के आंदोलन को धर्म पर हमला नहीं वरन् अपने लोकतांत्रिक होने का प्रमाण समझकर गर्व करें। प्रगतिशील व जनवादी विद्वान शनिशिंगणापुर में नारी प्रवेश आंदोलन पर न फुदकें क्योंकि उनके प्रिय  धर्म के प्रमुख स्थान में तो महिलायें जाने की सोचती भी नहीं।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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Saturday, January 2, 2016

पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान से सद्भाव की आशा नहीं (Pathatkot Attack proof Pakistan Terrorist country)


                           आज पठानकोट में पाकिस्तान  प्रायोजित आतंकवादी हमला होने का मतलब यह है कि  पाकिस्तान पर बाहर से नहीं वरन् अंदर घुसकर कूटनीतिक प्रयासों से उस नियंत्रण करना होगा। इसका आशय युद्ध करने से न लें। इस हमले के बाद निष्कर्ष यह समझ में आता है कि पाकिस्तान के अंदर कूटनीति से विभाजन कर उस पर नियंत्रण किया जाये। पाकिस्तान विभिन्न जातीय, भाषाई तथा सांस्कृतिक समूहों में बंटा है जिसे जबरन धर्म की छत के नीचे लाया गया है-कूटनीति से उसे काबू करना होगा। पाकिस्तान पर पंजाब प्रांत के प्रभावशाली लोगों का कब्जा है जिसे समाप्त किये बिना भारत में शांति संभव नहीं है।
                           पाकिस्तान की केंद्र सरकार का पूरे देश पर नियंत्रण न रहा है न आगे हो सकता क्योंकि उसकी सक्रियता केवल लाहौर को ही चमकाने तक ही सीमित रहती है। पाकिस्तान सरकार  में पंजाब में भी केवल लाहौर तक ही देखती है जबकि वहां मुल्तान व बहावलपुर जैसे एतिहासिक क्षेत्र हैं जिन पर सरकार ध्यान नहीं देती। वहां विकास की अपार संभावना हमेशा रही है पर पाकिस्तान में उसकी उपेक्षा की जाती है ताकि भारत भेजने के लिये आतंकी मिल सकें। किसी समय भारत के कराची, मुल्तान, सक्खर व पेशावर शान हुआ करते थे पर पाक बनने के बाद तबाह हो गये। आज वहां आतंक के कारखाने हैं। पाकिस्तान का अभिजात्य वर्ग वहां के लोगों की गरीबी का लाभ उठाकर उन्हें आतंकी बनाकर भारत भेजता है ताकि उसका अस्तित्व बना रहे। पाक के अभिजात्य वर्ग की गरीबों को आतंकी बनाकर भेजने की नीति तब तक चलती रहेगी जब तक कूटनीति से उस पर वैसा संकट नहीं लाया जायेगा जैसा वह दूसरों के लिये बना रहा है।
                           पाकिस्तान का चार भागों में विभाजन हो जाना ही भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र में शांति बनाये रखने का एकमात्र उपाय है-पाकिस्तान का सिंध, ब्लूचिस्तान व सीमाप्रांत पंजाबी प्रभाव से बाहर होने की  रणनीति सफल होने पर ही   भारत विकास कर पायेगा। धार्मिक आधार पर बने पाकिस्तान का वैमनस्य भाव कभी खत्म नहीं होगा-यह तय समझें। पाकिस्तानी समाज में भारतीय समाज के प्रति सोहार्द भाव की आशा करना ही  रेत में घी ढूंढने  के समान है। ब्लूचिस्तान, सिंध और सीमाप्रांत के लोग पंजाबी प्रभाव वाले शासन व सेना से चिढ़ते हैं जिसका भारतीय कूटनीतिज्ञ लाभ उठाकर पाकिस्तान का विभाजन करा दें तो वास्तव में हमारा देश विश्वशक्ति कहलायेगा। पाकिस्तान का 4  भागों में विभाजन इस तरह करवाना चाहिये कि सभी भाग भारत पर  अपनी आवश्यकताओं के लिये इतने आश्रित रहें कि प्रतिकूल कोई कार्यवाही का सोच भी न सकें।
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