Thursday, December 24, 2015

राजसी पुरुष का आवामगमन निर्बाध होना चाहिये-कौटिल्य का अर्थशास्त्र(rajsi Purushon ki Raksha-Kautilya ka Arthshastra)

                           हमारे यहां के प्रचारकर्मी आमतौर से राजसी पदों पर प्रतिष्ठित लोगों के वाहन निकलने पर सामान्य लोगों का आवागमन रोकने का विरोध करते हैं। यह उनका अज्ञान हैै।  कहा जाता है कि राज्यप्रमुख की रक्षा पहरेदारो को उसी तरह करना चाहिये कोई पुरुष स्त्री की करता है। राज्य प्रमुख के जीवन का भय प्रजा के लिये संकट होता है। इसलिये विशिष्ट पदधारी लोगों की रक्षा पर आपत्ति होना ही नहीं चाहिये। प्रचारकर्मियों को चाहिये कि वह राजसी पदवाले लोगों की नीतियों, कार्यक्रमों तथा प्रबंध तक ही अपनी बात रखें। हमारे देश के लोग भी राजसी पुरुषों के रहन सहन व चालचलन से अधिक उनके राज्य के प्रति कर्मो पर अधिक ध्यान देते हैं।
कौटिल्य का अर्थशास्त्र में कहा गया है कि
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निर्गमे च प्रवेशो च राजमार्ग समान्ततः।
प्रोत्सारितजनम् गच्छेत्सम्यगाविष्कृतोन्नति।।
           हिन्दी में भावार्थ-राज्य प्रमुख कहीं जाये तो राजमार्ग स्वच्छ कर सामान्य लोगों का आवागमन रोककर सम्मान से गमन करे।
                           अभी दिल्ली में निजी कारों के आवागमन पर समविषम सूत्र लागू करते हुए विशिष्ट राजसी पदों वाले लोगों को उससे मुक्ति दी गयी है।  यह ठीक है इसका विरोध नहीं होना चाहिये। हां, इतना जरूर कह सकते हैं कि राजसी पदों वालों की रक्षा जहां आवश्यक है वहीं यह भी आवश्यक है कि वह सामान्य प्रजा के लिये हितैषी होकर काम करते रहें। उनके यही काम चर्चा का विषय होना चाहिये। यह चिंता की बात है कि आधुनिक लोकतंत्र से राजसी पदों पर आने वाले लोग पुरानी राजसी प्रवृत्ति का शिकार हो रहे है।

दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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