Sunday, July 4, 2010

हिन्दू धर्म संदेश-अधम पुरुषों से परे रहना ही अच्छा (adhma purushon se pare rahna hi shreshth-hindu dharma sandesh)

हमारे साथ व्यापार अथवा नौकरी के कारण अनेक लोग संपर्क में आते हैं। उनसे संबंध बनाना मज़बूरी होती है पर जहां किसी व्यक्ति के चाल चलन या आदतों में बुराई का आभास हो उससे औपाचारिकतावश ही संबंध रखना ही अच्छा है न कि उससे आत्मीयता या एकता दिखाकर अपने लिये संकट को आमंत्रण देना। एक बात तय है कि आदमी अपना स्वभाव आसानी से नहीं बदलता इसलिये अपने साथ संपर्क में रहने वाला व्यक्ति अगर अन्य लोगों के लिये संकट खड़ा करता है या दूसरों की निंदा करता है तो समझ लीजिये कि वह किसी दिन अपने मित्र को भी नहीं बख्शने वाला। अतः मनुस्मृति वर्णित इस संदेश का भाव का रहस्य समझते हुए ही अपने संबंध श्रेष्ठ मनुष्यों के साथ विकसित करना चाहिए।
उत्तमैरुत्तमैर्नित्यं संबंधनाचरेत्सह।
निनीषुः कुलमुत्कर्षमधमानधर्मास्त्यजेत्।
हिन्दी में भावार्थ-
अपने परिवार की रक्षा तथा सम्मान में वृद्धि के लिये अच्छे परिवारों के साथ अपनी कन्या और पुत्र के संबंध बनाने चाहिए। खराब आचरण तथा धर्म विरोधी पुरुषों के परिवारों के साथ किसी प्रकार का संबंध स्थापित करना ठीक नहीं है।
उत्तमानुत्तमान्गच्छन्हीनाश्च वर्जवन्।
ब्राम्हण श्रेष्ठतामेति प्रत्यावयेन शूद्रताम्।।
हिन्दी में भावार्थ-
श्रेष्ठ पुरुषों से संबंध जोड़ने और नीच तथा अधम पुरुषों से परे रहने वाले विद्वान की प्रतिष्ठा बढ़ जाती है। इसके विपरीत श्रेष्ठ लोगों की बजाय नीच पुरुषों से संबंध बनाने वाला मनुष्य और उसका कुल कलंकित हो जाता है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-श्रेष्ठ व्यक्ति या परिवार के उच्च आचरण का पैमाना जाति, वर्ण, धन या भाषा नहीं वरन् चरित्र और व्यवहार है। आजकल तो मनुष्य जाति में जिस तरह पाखंड तथा ढोंग की प्रवृत्ति बढ़ गयी है ऐसे में किसी भी प्रकार के मैत्री या वैवाहिक संबंध सोच समझकर जोड़ना चाहिए। युवक युवतियां शैक्षणिक, व्यवसायिक तथा अन्य सार्वजनिक स्थानों पर एक दूसरे से मिलते हैं। लच्छेदार बातों से एक दूसरे पर प्रभाव डालकर संबंध बना देते हैं। कोई यह देखने का विचार भी नहीं करता कि सामने वाले का बौद्धिक, वैचारिक तथा चारित्रिक स्तर क्या है? इसलिये ही आजकल अधिकतर लोग मैत्री और प्यार में धोखे की शिकायत करते नज़र आते हैं। इतना ही नहीं माता पिता की उपेक्षा कर वैवाहिक जीवन साथी चुनने को लालायित युवक युवतियां जब बाद में निराश होते हैं तो आत्महत्या तक कर बैठते हैं। यौवन की अग्नि उनकी बौद्धिक सोच को कुंठित कर देते हैं और समझते हैं कि जैसे जीवन का पूरा अनुभव उनको हो गया है। वह माता पिता के अनुभव को पुराना समझकर उनकी उपेक्षा तो करते हैं पर उसके परिणाम कोई अच्छे नहीं रहते।
एक बात दूसरी भी है कि हमारे समाज के अनेक लोगों ने श्रेष्ठता का प्रमाण जाति, भाषा और आर्थिक स्तर मान लिया है जो कि गलत हैं। दरअसल जिस परिवार में उच्च विचार वाले लोग हैं वही श्रेष्ठ है। जिनका आचरण धार्मिक प्रवृत्ति का है वही श्रेष्ठ लोग हैं। मनोरंजन, विलासिता तथा श्रम बचाने वाले सुविधाभोगी साधनों का संचय करना ही उच्च कुल या व्यक्ति होने का प्रमाण नहीं है। न ही किसी जाति, भाषा या समूह का श्रेष्ठता पर एकाधिकार है। मुख्य विषय यह है कि वैवाहिक तथा मैत्री संबंध स्थापित करने से पहले अपने सामने वाली की बौद्धिक, वैचारिक, सामाजिक तथा चारित्रिक दृढ़ता को प्रमाणित कर लेना चाहिए। केवल चेहरा और पहनावा देखकर किसी को श्र्रेष्ठ मानकर उससे संबंध जोड़ना खतरनाक भी हो सकता है।
संकलक,लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://anant-shabd.blogspot.com
------------------------

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels