Monday, December 15, 2008

संत कबीर संदेशः हम हैं उस देश के वासी, जहां है ब्रह्म की कृपा अच्छी खासी

हम वासी वा देश के,जहां पुरुष की आन
दुःख सुख कोई व्यापै नहीं, सब दिन एक समान

संत कबीरदास जी कहते हैं कि हम उस देश क निवासी है जहां परमात्मा रूपी पुरुश की मर्यादा रखी जाती है। यहां पर कोई दुःख सख नहीं है। एक दिन एक समान हैं।

हम वासी वा देश के, जहां ब्रह्म का कृप
अविनासी विनसै नहीं, आवै जाय सरूप


संत शिरोमणि कबीरदास जी का आशय यह है कि हमारा देश अन्य देशों से कही अधिक सौभाग्यशाली है जहां ब्रह्म की अत्यधिक कृपा है। जहां उस अविनाशी तत्व का कभी विनाश नहीं होता। देह का क्षय और मरण तो होता रहता है।

वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या- आज से चार सौ वर्ष पूर्व ही श्री कबीरदास जी ने यह अनुभव कर लिया था कि प्राकृतिक दृष्टि से अपना देश अन्य देशों से कहीं अधिक संपन्न है और जो अध्यात्म ज्ञान है उस आभास भी यहीं के लोगों में हैं। अगर देखा जाये तो जलवायु,खनिज और कृषि संपदा से अपने यहां संपन्नता है जो अन्य कहीं नहीं है। इस देश को किसी अन्य देश से सहायता की आवश्यकता नहीं है। इसके साथ ही किसी प्रकार का विचार या अध्यात्म ज्ञान भी कहीं से नहीं चाहिये। संत कबीरदास जी ने अपने जीवन में इस बात की अनुभूति कर ली थी कि विदेशी लोग इस देश में अपना मायाजाल फैला रहे हैं क्योंकि उनकी दृष्टि इसी प्राकृतिक संपदा पर थी। उन्होंने देखा कि कहीं जाति तो कही गरीबी के नाम पर इस देश में भेद पैदा किया जा रहा है। इसलिये उन्होंने अपने देश के लोगों को चेताया कि किसी भी चक्कर में मत पड़ो।

इसके बावजूद उनकी बातों पर लोगों ने ध्यान नहीं दिया और परिणाम यह हुआ कि तात्कालिक लाभ की खातिर यहां के अनेक लोगों ने विदेशियों को यहां न केवल आने दिया बल्कि उनको सम्मान देने के साथ उनके विचारों का अनुकरण किया। आज हालत यह है कि न केवल अपनी प्राकृतिक संपदा निरंतर लुटती रही है और पश्चिमी सभ्यता और विचारा धारा को भी ढोना पड़ रहा है जबकि अपने देश का अध्यात्म ज्ञान का कहीं मुकाबला नहीं है।
...........................

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels