Wednesday, November 14, 2007

ग्वालियर में कल एकदिवसीय क्रिकेट मैच

कल ग्वालियर में बहुत समय बाद कोई क्रिकेट मैच होने जा रहा है। वैसे ग्वालियर का रूपसिंह स्टेडियम देश के उन चार स्टेडियमों में है जहाँ शुरू में फ्लड लाईट लगाई गई थी, पर बहुत दिन से यहाँ अंतर्राष्ट्रीय मैच नहीं हुआ इसलिए इस कारण यहाँ के स्थानीय निवासियों की इसमें विशेष दिलचस्पी है। यह दिन-रात का मैच वैसे भी श्रंखला की दृष्टि से बहुत दिलचस्प है क्योंकि अगर भारत की टीम इसे जीतती है तो वह श्रंखला जीत लेगी और पाकिस्तान जीतता है तो फैसला जयपुर में होगा। ग्वालियर में दिन का मौसम गर्म हो जाता है शाम होते-होते ठंडा होने लगता है। मतलब यह कि दिन और रात के मौसम में जो अंतर है वह खेल को प्रभावित करेगा। वैसे यहाँ कि पिच बल्लेबाजों के लिए बहुत अच्छी है। स्टेडियम बहुत छोटा है इसलिए कोई बल्लेबाज जमकर बल्लेबाजी करे तो चोकों और छक्कों की बरसात कर सकता है। जो टीम पहले दो सौ अस्सी से तीन सौ रण बनाएगी उसे जीतने का अवसर मिल सकता है। इससे नीचे का स्कोर ज्यादा सुरक्षित नहीं है। गेंदबाजों के लिए अभी तक यह पिच अधिक मददगार नहीं रही-इसके बावजूद जो तेज गेंदबाज सधी लाइन लैंथ से गेंदबाजी करेंगे उन्हें विकेट मिलेंगे। मेरे विचार से पाकिस्तान के उमर गुल अगर अपने स्वाभाविक ढंग से गेंदबाजी करें तो वह भारतीय बल्लेबाजों की गति को रोक सकते हैं। इस स्टेडियम को लेकर मेरे मन में कई यादें हैं। जब शुरू में फ्लड लाईट लगी तो यहाँ कई मैच खेले गए। मुंबई और दिल्ली के बीच रणजी ट्राफी का फाइनल मैच यहाँ फ्लड लाईट में खेला गया जो कि इस प्रतियोगिया के लिए एक एतिहासिक घटना थी। जो ट्वेन्टी-ट्वेन्टी मैच आज लोकप्रिय हुए हैं वह एक या दो वर्ष पहले उसकी एक अनौपचारिक प्रतियोगिता यहाँ हुई थी और उसमें पाकिस्तान सहित कई विदेशी टीमों ने इसमें भाग लिया था और भारत उसमें भी जीता था। हालांकि उस समय लब्ध प्रतिष्ठत खिलाड़ी थे पर उस समय की भारतीय टीम का कोई खिलाड़ी नहीं था। कई वर्ष पुराना यह स्टेडियम भारतीय हाकी के भूतपूर्व हाकी खिलाड़ी स्व। रूपसिंह के नाम पर रखा गया है। पहले यह हाकी का स्टेडियम था पर क्रिकेट के बढ़ते आकर्षण ने इसे क्रिकेट का भी स्टेडियम बना दिया। रेलवे स्टेशन से थोडी दूर स्थित यह स्टेडियम अब पहले से अधिक आकर्षक है। चारों तरफ से घने पेडो से घिरा होने के कारण यहाँ गर्मी के मौसम भी रात को थोडा ठंडा हो जाता है। खेल में हार-जीत तो चलती है पर खेल की मूल भावना लोगों में आपसी सद्भावना कायम करना होती है। ग्वालियर के लोग राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की घटनाओं में बहुत दिलचस्पी लेते हैं और कानपुर में हुए मैच बाद इस मैच में क्या होगा इस पर खूब चर्चा हो रही है।

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