Saturday, May 28, 2011

अथर्ववेद से संदेश-संसार में अभयतापूर्वक विचरण करें (atharvaved se sandesh-sansar mein bhayrahit rahen-live without tension))

         अगर देखा जाये तो मनुष्य पर शासन उसका भय ही करता है इसी कारण सभी मनुष्य हिंसक नहीं होते। यह भय आत्मसंयम के रूप में होना चाहिए न कि अपने कर्म के फल की आशंकाओं के कारण मन में बैठना चाहिए। राजकर्म में लोग पूरे मानव समाज पर नियंत्रण करने के लिये भय पैदा करते हैं। आज के आधुनिक लोकतंत्र में तो भय आम आदमी के सामने खड़ा किया जाता है ताकि लोगों को समूबबद्ध कर उन पर शासन किया जा सके। राजकर्म में लगे अनेक लोग समाज को निर्भय पूर्वक रहने की व्यवस्था प्रदान करने का दाव करते हैं पर इसके लिये पद पाने के लिये वह अव्यवस्था का भय पैदा करते है। अनेक बुद्धिमान लोग आतंक और भ्रष्टाचार से समाज के बिखरने का भय पैदा कर एकता के लिये प्रयास करते हैं। दरअसल यह उनका व्यवसाय है कि किसी भी तरह समाज पर नियंत्रण करें ताकि सामाजिक तथा असामाजिक व्यवसायिक की गतिविधियां चलती रहें। ऐसे लोग जानते हैं कि आदमी पर केवल भय ही शासन कर सकता है इसलिये नित्य नये भयों का निर्माण कर उनका प्रचार किया जाता है।
         भय और अभय के विषय पर अथर्ववेद में कहा गया है कि
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           अभयं मित्रादभयममित्रदभयं ज्ञातादभवं पुरो यः।
            अभयं तक्तमभयं दिवा नः सर्वा आशा मम् मित्रम्।।
               ‘‘मित्र और शत्रु से हम अभय हो, जाने हुए से अभय हों, भविष्य से अभय हों, रात और दिन के साथ ही सारी दिशायें हमारे लिये अभय हों। सब आशायें हमारी मित्र बनें।
               अगर हम आत्ममंथन करें तो हम भय के कारण ही शांत रहते हुए कई ऐसे कर्मों से विमुख हो जाते हैं जो कि करना चाहिए। इतना ही नहीं कई बार भयग्र्रस्त होकर ऐसे लोगों से संपर्क बनाते हैं जिनसे हानि की आशंका होती है। हम विचार करें तो इतने  संकट  जिंदगी में नहीं आते जितने की आशंका हम करते हैं। ज्ञान के अभाव में कई बार ऐसे काम भी करते हैं जो वाकई भय पैदा करने वाले होते हैं। इसलिये किसी काम को न करने से पहले उसके गुण दोषों पर विचार अवश्य करना चाहिए। साथ ही अगर कोई सात्विक और सार्थक कार्य हो तो उसे निर्भयतापूर्व संपन्न करना चाहिए।
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

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