Thursday, April 15, 2010

मनुस्मृति-गायत्री मंत्र का जाप सुबह शाम करना चाहिए (manu smirit-gyatri mantra ka jaap)

पूर्वी संध्या जपंस्तिष्ठनैशमेनो व्यपोहति।
पश्चिमां तु समासीनो मलं हन्ति दिवाकृतम्।
हिन्दी में भावार्थ-
प्रातःबेला में गायत्री मंत्र का जाप करने से रात्रिभर के तथा सायंकाल में जाप करने से दिन भर के पाप नष्ट होते हैं।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-गायत्री मंत्र की हमारे भारतीय अध्यात्मिक दर्शन में बहुत महिमा है। यह गायत्री मंत्र इस प्रकार है
ॐ  भूर्भवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
इसका हिन्दी में अनुवाद है कि ‘हम उस देवस्वरूप, दुःखनाशक तथा सुखस्वरूप परमात्मा को अपने हृदय में धारण करें जो हमारा मार्ग प्रशस्त करें।’
इस श्लोक को संस्कृत में कहने के बाद हिन्दी में भी कहा जा सकता है। श्रीमद्भागवत गीता में गायत्री मंत्र की को सर्वोत्तम बताया गया है। इसके अलावा शब्दों में ॐ (ओम) शब्द को सबसे पवित्र बताया गया है। अधिकतर लोग मंत्रों का महत्व नहीं समझते। अनेक लोग मंत्रों के जाप को जादू टाईप की सिद्धियों से जोड़ते हैं। यह उनका एक वहम है। ओम शब्द या गायत्री मंत्र के जाप से मनुष्य के मन में शुद्धि होती है तथा जीवन में काम करने के प्रति आत्मविश्वास बढ़ता है। जब मन शुद्ध होता है तब बौद्धिब तीक्ष्णता तथा आत्मबल की वृद्धि होने पर सारे काम स्वयं ही सिद्ध होते हैं और इसमें जादू जैसा कुछ नहीं है। मुख्य बात संकल्प करने की है। जैसा संकल्प होता है वैसे ही मनुष्य की जिंदगी होती जाती है।
इसलिये ओम शब्द तथा गायत्री मंत्र का जाप सुबह शाम अवश्य करना चाहिये। मनुष्य न भी चाहे तो पंचभूत के वशीभूत उसकी देह से कुछ आप अनजाने हो ही जाते हैं। जिनका निवारण इन मंत्रों से हो जाता है।
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संकलक,लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://anant-shabd.blogspot.com
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