Thursday, February 25, 2010

संत कबीर वाणी-प्रसन्नता देने वाले मनुष्य कम ही मिलते हैं

मानुस खोजत मैं फिरा, मानुस बड़ा सुकाल।
जाको देखत दिल घिरे।, ताक पड़ा दुकाल।।
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि मैंने खूब ढूंढा तो मनुष्य बहुत मिले पर ऐसा कोई नहीं दिखा जिसे देखकर मन प्रसन्न हो जाये।
देखा देखी सुर चढ़े, मर्म न जानै कोय।
सांई कारन सीस दे, सूरा जानी सोय।।
कबीरदास जी का कहना है दूसरों की देखा देखी लोग भक्ति तो करने लग जाते हैं पर परमात्मा का नाम धारण कर पूरा जीवन उसे अर्पित कर कर दे, ऐसा कोई बहादुर योद्धा नहीं मिलता।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-इस संसार में हर मनुष्य अपने स्वार्थ की पूर्ति में लगा हुआ है। लोग एक दूसरे के साथ तभी संपर्क करते हैं जब उनका काम पड़ता है। ऐसे में हार्दिक रूप से मित्रता करने वाले तो लोग कम ही मिलते हैं और जिसे मिल जायें वह अपना सौभाग्य समझे। लोग एक दूसरे से मिलते हैं पर उनका व्यवहार औपाचारिकता की सीमाओं में बंधा होता है। आपस में मिलकर कोई एक दूसरे को प्रसन्नता प्रदान करे, ऐसा बहुत कम होता है।
दूसरे को देखकर भक्ति करने का भाव अनेक लोगों में जाग्रत होता है। उनका यह भाव हृदय के शुद्ध विचारों की बजाय केवल दूसरों को दिखाने के कारण प्रवाहित होता है। कुछ लोग तो केवल इसलिये ही भक्ति करते दिखते हैं ताकि उनका प्रचार एक भक्त के रूप में हो। अनेक शिक्षित लोग अध्यात्मिक किताबों से ज्ञान रटकर उसको सुनाने निकल पड़ते हैं ताकि उनको ज्ञानी समझा जाये। ऐसे ही अनेक लोग गुरु के पद पर भी प्रतिष्ठत हो जाते हैं।
दिखावा करने से न तो अपने व्यक्तित्व में निखार आता है न ही हृदय को संतोष मिलता है। इसलिये जब भक्ति करें तो हृदय से करें ताकि मन में निर्मलता का भाव आये। यही निर्मलता का भाव चेहरे पर प्रकट होता है और तब अगर दूसरा व्यक्ति देखता है तो वह प्रभावित हुए बिना नहीं रहता-उसे आपका चेहरा देखकर ही प्रसन्नता होगी।

संकलक,लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://anant-shabd.blogspot.com------------------------

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels