सार शब्द जानै बिना, कागा हंस न होय।।संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं जादू टोना और जंत्र मंत्र सब झूठ है और उनके चक्कर में मत पड़ो। शब्द ज्ञान के बिना कोई कौवा हंस नहीं हो सकता।
सार शब्द जानै बिना, जिव परलै में जाय।
काया माया थिर नहीं, शब्द लेहु अरथाय।।संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि शब्द ज्ञान के बिना इंसान प्रलय मे फंस जाता है। माया तो स्थिर नहीं है इसलिये शब्द से अर्थ लेना चाहिए-अर्थात इस तत्व ज्ञान को धारण कर लेना चाहिये कि यह संसार नश्वर है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-सप्ताह में सात दिन होते हैं और इनमें कुछ जंत्र मंत्र और जादू टोना करने वालों ने अपने लिये कर रखे हैं। खासतौर से मंगलवार, शनिवार और गुरुवार के दिनों में ऐसे कथित सिद्धों और फकीरों की दरबारों में भीड़ लगती है जो दावा करते हैं कि वह सभी का दर्द दूर कर देंगे। यह एक तरह का ढोंग है। यह संसार चक्र स्वतः ही चलता है और समयानुसार संकट आते और जाते हैं। किसी के जंत्र मंत्र या ताबीज से उनका दूर होने का मात्र भ्रम है और कुछ नहीं। ऐसे कथित के पास कोई सिद्धि नहीं होती और न ही उनके पास तत्वज्ञान होता है। वह इस आड़ में प्रत्यक्ष धनार्जन करते हैं या मुफ्त सेवा कर समाज में प्रभाव जमाते हुए अप्रत्यक्ष रूप से अपने हित साधते हैं।
बिना तत्वज्ञान के मनुष्य का उद्धार नहीं हो सकता। उसके बिना वह इस संसार में आने वाले उतार चढ़ाव को चमत्कार और संकट की तरह देखते हुए ऐसे ढोंगियों के यहां जाकर सिर झुकाता है जो स्वयं ही अज्ञान के अंधेरे में भटकते हुए मायावी संसार की समस्याओं को दूर करने का दावा करते हैं। अतः उनके पास जाने की बजाय सच्चे मन से भगवान की भक्ति करना चाहिये।
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