Friday, May 22, 2009

विदुर नीति-सांसरिक सुख के छह प्रकार

आरोग्यमानृण्यमविप्रवासः सदिभर्मनुष्यैः सह सम्प्रभोग।
स्वर्पत्यया वृत्तिरभौतवासः यह जीवलोकस्यं सुखानि राजन्््।।
हिंदी में भावार्थ-
निरोगी काया, किसी का ऋण न होना, विदेश में न रहना, सज्जन लोगों से संपर्क, अपने दम पर ही जीविकोपार्जन और निडरता के साथ जीना-यह छह प्रकार के सुख हैं।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-लोग भौतिक सुख और सुविधाओं के पीछे तो भागते हैं पर यह जानते ही नहीं कि सुख होता क्या है? यही कारण है कि वह सुख के नाम पर इतने भौतिक साधन जुटा लेते हैं कि उनमें से कई तो काम के ही नहीं रहते और कई दुःख का कारण भी बनते हैं। इस भागदौड़ में न उनकी मानसिक, शारीरिक तथा आर्थिक का ऊर्जा का क्षरण होता है बल्कि अध्यात्मिक साधना का समय ही नहीं मिल पाता और पूरा जीवन मानसिक तनाव में बीत जाता है।
सुख के बारे में निम्न प्रकार विचार करना चाहिए।
1. शरीर अगर स्वस्थ है तो उसके लिये किसी प्रकार की सुविधा की आवश्यकता नहीं है। जितना हो सके उससे काम लेना चाहिए। शरीर से पसीना निकलता है तो परवाह न करें वह शरीर में से निकलने वाली बीमारी है।
2.घर और शहर में रहते हुए ही अगर हमारा जीवन शांति से व्यतीत हो रहा है और आवश्यकताओं की पूर्ति हो रही है तो फिर यह सोचकर संतोष करना चाहिए कि हमें विदेश जाकर दूसरे लोगों की शरण नहीं लेनी पड़ी।
3.गुणवान, ज्ञानी और दयालू लोगों से निरंतर संपर्क होता है तो यह मान लेना चाहिए कि यह भी एक बहुत बड़ा सुख है। वरना तो आजकल सभी जगह अहंकारी, पाखंडी और काली नीयत वाले लोग मिलते हैं।
4.हमारे घर का खर्च अपने ही परिश्रम से चल रहा है तो समझ लें कि यह एक बहुत बड़ा सुख है और किसी के आगे हाथ नहीं फैलाना पड़ रहा है। दूसरे के सामने हाथ फैलाना मृत्यु के समान हैं।
5.किसी का ऋण नहीं होना भी एक बहुत बड़ा सुख है। इस बात की चिंता नहीं होती कि किसी का पैसा देना है और उसे जुटाने का प्रयास करने की आवश्यकता नहीं हैं।
6. जहां हम रह रहे हैं वहां किसी प्रकार का भय नहीं है यह भी एक बहुत बड़ा सुख है। अपने रोजगार के लिये किसी ऐसे स्थान पर नहीं जाना पड़ रहा है जहां हमारे लिये लिये दैहिक या मानसिक प्रताड़ना की आशंका है-इस बात पर संतोष करना चाहिए।
............................................
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels