Wednesday, July 9, 2008

संत कबीरवाणीःअपने निंदक को पास में घर बनाकर बसा लो

निन्दक एकहू मति मिलै, पापी मिलै हजार
इक निन्दक के सीस पर, लाख पाप का भार

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि पापी तो हजार मिलते हैं पर पर निंदा करने वाला महापापी नहीं मिलना चाहिये। एक निंदक के सिर पर लाखों पाप का भार रहता है।

निन्दक नेरे राखिये, आंगन कुटी छवाय
बिन पानी साबुन बिना, निरमल करै सुभाय

संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि अपनी निंदा करने वाले व्यक्ति को अपने पास मकान बनवाकर रख लो क्योंकि वह बिना पानी और साबुन के ही आपके मन को निर्मल करता है।

वर्तमान संदर्भ में व्याख्या-एक तरह तो कबीरदास जी कहते हैं कि एक भी निंदक नहीं मिलना चाहिऐ दूसरी तरफ कहते हैं कि अपने निंदक को अपने पास ही रखना चाहिए। इसमें सतही तौर पर विरोधाभास लगता है पर गहन अर्थों में दोनों ही गूढ़ रहस्य भरे हुए हैं। हमें स्वयं किसी की निंदा नहीं करना चाहिए। निंदा का अर्थ यह है कि हम दूसरें में दोष देख रहे हैं और जब उनकी कहीं अन्यत्र चर्चा करते हैं तो वह दोष हमारे अंदर भी घर करने लगते हैं। हो सकता है कि हमारी निंदा सुनकर दूसरा व्यक्ति अपने दोष से किनारा कर ले और वह पतित्र हो जाये पर हमारे अंदर उसकी निंदा से जो दोष आया है उसका निराकरण नहीं हो सकता।
दूसरा कोई हमारी निंदा करे तो उससे विचलित नहीं होना चाहिए बल्कि आत्म चिंतन करना चाहिए कि क्या वह दोष वाकई हमारे अंदर है तो फिर उसका निराकरण करना चाहिए। नहीं तो इस बहाने अपना आत्म मंथन तो हो ही जाता है जो कि जीवन के विकास के लिये एक अनिवार्य प्रक्रिया मानी जाती है।

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels