Saturday, July 11, 2009

संत कबीर वाणी-मनुष्यों में बुद्धि का अंतर होता है (manushy aur buddhi-sant kabir vani)

यह ब्लाग/पत्रिका विश्व में आठवीं वरीयता प्राप्त ब्लाग पत्रिका ‘अनंत शब्दयोग’ का सहयोगी ब्लाग/पत्रिका है। ‘अनंत शब्दयोग’ को यह वरीयता 12 जुलाई 2009 को प्राप्त हुई थी। किसी हिंदी ब्लाग को इतनी गौरवपूर्ण उपलब्धि पहली बार मिली थी।
------------------------
फेर पड़ा नहिं अंग में, नहिं इन्द्रियन के मांहि।
फेर पड़ा कछु बूझ में, सो निरुवरि नांहि।।
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि सभी मनुष्यों के अंग एक तरह के हैं और सभी की इंद्रियों का काम भी एक जैसा है बस समझ का फेर है। इसलिये अपनी बुद्धि को शुद्ध रखने का प्रयास करना चाहिए।
या मोती कछु और है, वा मोती कछु और।
या मोती है शब्द का, व्यापि रहा सब ठौर।।
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि यह मोती कुछ और है और वह मोती कुछ और। शब्द ज्ञान वाला मोती सभी जगह व्याप्त है पर पर एक एक मोती वह है जो केवल सागर में ही प्राप्त होता है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-सभी मनुष्य एक समान है क्योंकि सभी के अंग एक जैसे हैं-भले ही रहने की धरती और खान पान की विविधता के कारण उनका रंग अलग होता है। सभी मनुष्यों की जरूरतें भी एक जैसी होती हैं क्योंकि उनकी इंद्रियों के विषय सुख भी एक जैसे हैं। इसके बावजूद मनुष्य के आचार विचार और चाल चलन में अंतर पाया जाता है। यह अंतर बुद्धि के कारण होता है। जिनकी बुद्धि शुद्ध होती है वह हमेशा सकारात्मक रूप से जीवन व्यतीत करते हैं और जिनकी अशुद्ध होती है वह नकारात्मक रूप से काम करते हुए दूसरों को कष्ट देते हैं। बुद्धि की शुद्धता के लिये समय मिलने पर अध्यात्मिक साधना करना चाहिये। सत्संग, भक्ति और साधना के अलावा अन्य कोई मार्ग बुद्धि शुद्ध करने का नहीं है।

एक मोती तो वह है जो समुद्र से प्राप्त होते हैं। वह निर्जीव मोती केवल दिखने में ही आकर्षित होते हैं। एक शब्द भी मोती की तरह होते हैं जो सभी ओर व्याप्त हैं। यह शब्द ज्ञान मोती अध्यात्मिक ज्ञान के समुद्र में गोता लगाकर ही प्राप्त किये जा सकते हैं। इनका प्रभाव दीर्घकाल तक रहता है। यह शब्द ज्ञान मोती जिसने चुन लिये वही श्रेष्ठ इंसान कहलाता है। समुद्र से प्राप्त मोतियों की माला धारण करने से आदमी की बाह्य शोभा बढ़ती है पर शब्द ज्ञान मोती से उसमें अंदर भी चमक भी आ जाती है।
.....................
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels