लच्छन निशाना रूप का, परखि दिखाया ठांव
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि हृदय वह स्थान स्थित है जो इस देह में आकाश के नीचे स्थित किसी छोटे गांव की तरह है जहां परमात्मा का वास होता है। वह लक्षणों और संकेतों में अपना रूप प्रकट कर अपने वहां रहने का प्रमाण देता है।
मानसरोवर सुगम जल, हंसा केलि कराय
मुक्ताहल मोती चुगै, अब उडि़ अंत न जाय
संत शिरोमणि कबीरदास जी के मतानुसार हृदय में ही वह मानसरोवर है जहां परमात्मा रूपी हंस विचरण करता है। वह तो ज्ञान के मोती चुनने को लालाचित रहता है जब तक वहां से उड़कर न चला जाये।
पूरे से परिचय भया, दुःख सुख मेला दूर
जम सो बाकी कटि गई, साईं मिला हजूर
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि जब हृदय में स्थित परमात्मा से पूा परिचय हो गया तो दुःख और सुख का मेला दूर लगने लगा। शेष आयु यमराज की चिंता से मुक्ति मिल गयी और परमात्मा के दर्शन हो गये।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप
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