Wednesday, December 30, 2009

विदुर नीति-निर्दोष को सताने वाला सुख से नहीं रह सकता (nirdosh ko n sataeyn-hindu dharma sandesh)

निरर्थ कलह प्राज्ञो वर्जयन्मूढसेवितम्।
कीर्ति च लभते लोके न चानर्थेन युज्यते।।
हिन्दी में भावार्थ-
बिना बात के कलह करना मूर्खो का कार्य है। बुद्धिमान पुरुषो को चाहिए कि वह इस बुराई से दूर रहें। बिना बात के विवाद करने से एक तो यश नहीं मिलता दूसरा अनेक बार बेकार के संकटों का सामना करना पड़ता है।
न च रात्रौ सुखं शेते ससर्प इव वेश्मनि।
यः कोपयति निर्दोषं सदोषोऽभ्यन्तरं जनम्।
हिन्दी में भावार्थ-
जो स्वयं दोषी होकर भी निर्दोष और आत्मीय व्यक्ति को कुपित करता है वह सांप के निवास करने वाले घर वाले मनुष्य की भांति सुख से सो नहीं सकता।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-पूरा जीवन शांति तथा सुख से बिताने की अगर आवश्यकता अनुभव करें तो बस एक ही उपाय है कि दूसरों के दोष देखना बंद कर दें और निरर्थक विषयों पर बहस से बचें। इससे परंनिंदा जैसे आत्मघाती दोष तथा हिंसा से बचाव किया जा सकता है। अगर इस धरती पर होने वाले झगड़ों को देखें तो शायद ही उनका कोई कारण होता हो। अगर राजकाज से जुड़ा आदमी है तो वह सामान्य प्रजाजनों के लिये प्रभाव जमाने के लिये अन्य राज्यों से निरर्थक विवाद करता है या फिर राज्य के अंदर ही पहले असामाजिक तत्वों के खिलाफ पहले ढीला ढाला रवैया अपना कर उनको प्रोत्साहन देता है और फिर बाद में विलंब से कार्यवाही कर वाह वाही लूटता है। यही हालत सामान्य आदमी की भी है वह अपने से जुड़े लोगों में प्रतिष्ठा अर्जित करने के लिये निरर्थक डींगें हांकता है-अवसर मिले तो किसी कमजोर पर प्रहार का अपनी शक्ति दिखाता है।
इस प्रकार मानवीय प्रवत्तियों में अहंकार सारे झगड़ों की जड़ है। इस प्रयास में लोग निर्दोष तथा मासूम लोगों पर आक्रमक करते हैं या उनको सताते हैं जो कि अंततः उनके लिये दुःखदायी होता है। याद रखें कि निर्दोष या आत्मीयजन को सताने के बाद कोई सुख से वैसे ही नहीं रह सकता जैसे कि सांप को घर में देखने के बाद कोई आदमी चैन से नहीं रह पाता।
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwalior
http://anantraj.blogspot.com
------------------------
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन

No comments:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels