Wednesday, July 8, 2009

चाणक्य नीति-पुत्र और शिष्य को डांटना भी चाहिये (chankya niti)

लालनाद् बहवो दोषस्ताहृनादफ बहवो गुणाः।
तस्मापुत्रं च शिष्यं च ताडयेन्न लालयेत्।।
हिंदी में भावार्थ-
नीति विशारद चाणक्य कहते हैं अधिक प्यार करने से पुत्र और शिष्य में अनेक दोष आ जाते हैं जबकि उनको ताड़ना देने से विकास होता है। अतः पुत्र शिष्य को डांटते रहना चाहिये।
माता शत्रुः पिता वैसे येन बालो न पाछितः।
न शोभते सभामध्ये हंसमध्ये बको यथा।।
हिंदी में भावार्थ-
ऐसे माता पिता अपनी संतान के लिये शत्रु समान है जो उसे शिक्षित नहीं करते। अशिक्षित व्यक्ति का बुद्धिमानों की सभा में भारी अपमान होता है।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-आजकल बच्चों को शिक्षा दिलाना ही पर्याप्त नहीं है बल्कि उनके समक्ष अपने नैतिक आचरण और व्यवहार का प्रमाण भी प्रस्तंुत करना चाहिये। बच्चों का प्यार करना चाहिये पर इस वजह से उनके मन में उद्दंडता की प्रवृत्ति न आये इस पर ध्यान करना जरूरी है। इसलिये उनके द्वारा गलती किये जाने पर उनको डांटने के साथ समझाना चाहिये। इसके अलावा शैक्षणिक जीवन के दौरान ही उनमें यह प्रवृत्ति भी भरना चाहिये कि जिससे वह घर और बाहर की जिम्मेदारी उठा सकें। पढ़ने के अलावा उनके अंदर परिश्रम करने का भाव भरना चाहिये। अगर सारी सुविधायें शिक्षा के दौरान दी जायेंगी और परिश्रम से परे रखा जायेगा तो फिर बाद में उसे परेशानी आ सकती है।
यह भाव मन में नहीं लाना चाहिये कि अभी तो बच्चा पढ़ रहा है बाद में समझ जायेगा बल्कि उसके हृदय में जीवन के ं नैतिक और अध्यात्मिक भाव की भी स्थापना करने का प्रयास करना चाहिये।
आपने देखा होगा कि अधिकतर बड़े बूढ़े यह शिकायत करते हैं कि उन्होंने अपने लड़के को खूब पढ़ाया पर अब वह उनको पूछ नहीं रहा। अगर आप उन्हें यह बतायें कि यह संस्कार ही आपने उसके मन में नहीं भरे तो आप फिर यह आशा क्यों कर रहे हैं तो वह उत्तर नहीं दे पायेंगे। एक तो वह लोग होते हैं जो आम पाने की चाह में बबूल का पेड़ बोते हैं। हम ऐसे लोगों को मूर्ख कहते हैं पर उन लोगों के बारे में क्या कहा जाये जो पेड़ ही नहीं बोते पर फल की आकांक्षा करने लगते हैं।
.................................
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग ‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। मेरे अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्दलेख-पत्रिका
2.दीपक भारतदीप का चिंतन
3.अनंत शब्द योग
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

No comments:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels