चाणक्य नीतिःसचेत न रहें तो बीमारी और दुश्मन हमला कर देते हैं
1.निरंतर परिश्रम करना ही अपनी निर्धनता हटाने का सबसे अधिक अच्छा उपाय है। परिश्रमी कभी निर्धन नहीं रह सकता। उद्यम करने वाले को उसका भाग्य का लिखा मिलता है। अगर कोई सिंह सो रहा है तो उसके मूंह में पशु अपने आप नहीं चले जाते। अगर वह परिश्रम न करे तो उसे भी भूखा मरना पड़ता है।
2.भगवान का नाम जपने से सभी पाप अपने आप नष्ट हो जाते हैं। प्राचीन ग्रंथों में पापों के प्रायश्चित को के रूप में तप का ही महत्व प्रतिपादित किया गया है, जो व्यक्ति निरंतर जप करता रहता है उसके पाप तो रह ही नहीं सकते।
3.उत्तर का प्रत्युत्तर देना ही झगड़े का कारण बनता है। अगर किसी ने अपशब्द कहें हैं और दूसरा भी उसके उत्तर में अपशब्द कहता है तो झगड़ा अपने आप शूरू हो जाता है। अगर की झगड़े का निराकरण करना है तो उसका सबसे अच्छा उत्तर मौन है।
4.जागरुक और सावधान व्यक्ति को किसी प्रकार के भय की आशंका नहीं रहती। प्रायः रोग, शत्रू तथा अपराधिक प्रवृत्ति के लोग असावधान और सोते व्यक्ति पर ही प्रहार करते हैं और उनके जागते ही भाग जाते हैं। यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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