Thursday, January 3, 2008

चाणक्य नीति:सज्जन पुरुष अर्थाभाव में भी सज्जनता नहीं छोड़ते

1.दान, शक्ति, मीठा बोलना, धीरता और सम्यक ज्ञान यह चार प्रकार के गुण जन्म जात होते हैं, यह अभ्यास से नहीं आते।
2.जिसकी मन में पाप हैं, वह सौ बार तीर्थ स्नान करने के बाद भी पवित्र नहीं हो सकता, जिस प्रकार मदिरा जलाने पर भी शुद्ध नहीं होता।
3.जो वर्ष भर मौन रहकर भोजन करता है, वह हजार कोटी वर्ष तक स्वर्ग लोक में पूजित होता है।
4.पीछे-पीछे बुराई कर काम बिगाड़ने वाले और सामने मधुर बोलने वाले मित्र को अवश्य छोड़ देना चाहिए।
5.इस संसार में कट जाने पर भी चन्दन का वृक्ष अपनी सुगन्ध नहीं छोड़ता, हाथी बूढा हो जाने पर भी अपनी विलासिता नहीं छोड़ता, गन्ना कोल्हू में पिस जाने पर भी अपनी मिठास नहीं छोड़ता ऐसे ही सज्जन पुरूष अर्थाभाव में भी अपनी सज्जनता नहीं छोड़ते।

1 comment:

mamta said...

आपको और आपके परिवार को नया साल शुभ और मंगलमय हो।

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