'कबीर' हरि कग नाव सूं , प्रीती रहे इकवार
तो मुख तैं मोती झडै , हीरे अंत न पार
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि यदि हरिनाम पर अविरल प्रीती बनी रहे तो उसके मुख से मोती ही मोती झाडेंगे और इतने हीरे कि उनकी गिनती नहीं हो सकती।
बैरागी बिरकत भला, गिरही चित्त उदार
दुहूँ चूका रीता पडै, वाकूं वार न पार
बैरागी वही अच्छा है जिसमें सच्ची विरक्ति हो और गृहस्थ वह अच्छा जिसका हृदय उदार हो। यदि बैरागी के मन में विरक्ति नहीं और गृहस्थ के मन में उदारता नहीं तो दोनों का ऐसा पतन होगा कि जिसकी हद नही है।
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
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रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
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हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
7 years ago

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