Friday, April 22, 2011

सांयकाल वंदना अवश्य करना चाहिए-हिन्दू धार्मिक चिंत्तन (sanykal vandna avashya karna chahie-hindu dharmik chittan)

          हमारे अध्यात्मिक दर्शन में बहुत सारी बातें स्वास्थ्य विज्ञान से संबंधित हैं तो हमारे धर्म में मनुष्य के मनोविज्ञान को भी बहुत महत्व दिया गया है। इसे आधुनिक लोग शायद ही समझ पाते हैं। मनुष्य तो अन्य जीवों की तरह पंच तत्वों से बना प्राणी है पर उसके पास बुद्धि की वह शक्ति जिसकी शक्ति पर अपने मन की हर बात पूरी कर सकता है जो अन्य जीवों में नहीं होती। मजे की बात यह है कि यह मन अपनी बात तो पूरी करवा लेता है पर उस बुद्धि की शक्ति के ज्ञान से से परे ही रहता है जो कि मनुष्य की ही शक्ति है। यही कारण है कि मनुष्य सारी सुविधायें होते हुए भी मानसिक तनाव में रहता है।
          हम अपने अंदर मानसिक तनाव का अध्ययन करें तो पायेंगे कि सांसरिक कार्यो में निरंतर सक्रिय रहने से उपजी एकरसता उसका एक कारण होती है। कुछ देर उनसे विरक्ति जीवन को नवीनता प्रदान करती है। यही कारण है कि हमारे यहां परमात्मा की निष्काम भक्ति की बात कही जाती है ताकि कुछ देर अपना मन तथा बुद्धि को सांसरिक कर्म से हटाकल दूसरी राह पर ले जाया जाये। सच बात तो यह है कि महल में सारी सुविधायें रहते हुए भी वह तब जेल लगने लगता है जब वहां से कहीं जाने का अवसर न मिले। यही कारण है कि हमारे यहां प्रातः तथा सांयकाल ईश्वर वंदना के लिये नियत किये गये हैं। प्रातः वंदना से हम पवित्र मन लेकर सांसरिक कार्य के लिये तैयार होते हैं तो सांयकाल प्रतिदिन कर्ममंथन से प्राप्त विषय का विसर्जन करते हैं।
सांयकाल वंदना पर दक्षस्मृति में कहा गया है कि
-------------------------------------------------------------
संध्याहीनोऽशुचिर्नित्यमनर्हः सर्वकर्मसु।।
यदन्यत् कुरुते कर्म न तस्य फलमश्नुते।।
               ‘‘संध्यावंदन अवश्य करना चाहिए। ऐसा न करने वाला हमेशा ही अपवित्र रहता है और किसी भी कार्य करने का अघिकार नहीं रखता। जो सायंकाल जपादि नहीं करता उसके सारे कर्म निष्फल हो जाते हैं।’’
         सुबह जल्दी नहाने और ईश्वरीय वंदना करने से शरीर और मन में नवीनता की अनुभूति होती है। सुबह गायत्री मंत्र का जाप करना अत्यंत श्रेष्ठ कर्म माना जाता है। शाम को शांति पाठ अवश्य करना चाहिए ताकि दिन भर में अपने जीवन कर्म मंथन से  अशांति रूपी विष एकत्रित किया है उससे मन मुक्त हो सके।
------------

संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

No comments:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels