Saturday, February 12, 2011

आयु के छोटे शिक्षक का भी सम्मान करना चाहिए-हिन्दू धार्मिक लेख (age,teachar and computer education-hindu dharmik article)

मनुष्य को विनम्रता का भाव हमेशा अपना चाहिए पर इसका मतलब यह नहीं है कि अक्षम, नकारा, भ्रष्ट तथा अहंकारी लोगों की संगत में जाने की सामाजिक शर्त का पालन भी करें। अंततः संगत का प्रभाव पड़ता है। जैसे लोगों के बीच बैठेंगे उनकी वाणी तथा सक्रियता के प्रभाव से बचना संभव नहीं है चाहे कितना कोई आम इंसान ज्ञानी क्यों न हो।
पैसा, पद तथा प्रतिष्ठा अर्जित करने वाले अनेक लोग मदांध हो जाते हैं और अपने साथ अभिवादन करने की प्रक्रिया को वह अपनी चाटुकारिता समझकर इठलाते हैं। वह अभिवादन का उत्तर देते नहीं है और देते हैं तो उनका अहंकार भाव प्रत्यक्ष दृष्टिगोचर होता है। ऐसे लोग सम्मान के योग्य नहीं होते। उनकी तरफ से मुंह फेरना ही एक श्रेष्ठ उपाय है।
इस विषय में मनुमहाराज मनुस्मृति में कहते हैं-
------------------------
यो न वेत्यभिवादस्य विप्रः प्रत्यभिवादनम्।
नाभिवाद्य स विदुषा यथा शूर्दस्तथैव सः।।
"जो अभिवादन का उत्तर देना नहीं जानता उसे प्रणाम नहीं करना क्योंकि वह इस सम्मान के अयोग्य होता है।"
अवाच्यो तु या स्त्री स्वादसम्बद्धा य योनितः।
भोभवत्पूर्वकं त्वनेमभिभाषेत धर्मवित्।।
"धर्म का ज्ञान रखने वाले को चाहिए कि वह दूसरे ज्ञानी को कभी भी नाम से संबोधित न करे भले ही वह उससे छोटी आयु का क्यों न हो। उसको हमेशा सम्मान से संबोधित करना चाहिए।"
उसी तरह अगर कोई ज्ञानी है और आयु में छोटा हो भी उसका सम्मान किया जाना चाहिये। इसका उदाहरण आज के कंप्यूटर युग में लिया जा सकता है। जब कंप्यूटर का उपयोग आम लोगों ने शुरु किया तो उसे सीखने के लिये अपने से छोटी आयु के लड़कों से सीखना प्रारंभ करना पड़ा। वह एक छात्र के रूप में अपने शिक्षक को सम्मानीय संबोधन देने लगे। यह हमारी महान सांस्कृतिक परंपराओं का ही प्रमाण है। फिर कंप्यूटर की शिक्षा ऐसी है कि संभव है कुछ बच्चे पहले शिक्षा या अधिक अभ्यास से अपने से बड़े बच्चों से पहले दक्ष हो जाते हैं। इतना ही नहीं वह शिक्षक भी बन अपने दायित्व निभाते हैं। ऐसे में उनको सर या श्रीमान् का संबोधन देने से अपने अंदर कभी कुंठा अनुभव नहीं करना चाहिए।
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com

No comments:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels