गुरुरात्मवतां शास्ता शास्ता राजा दुरात्मनाम्।
अथ प्रच्छन्नपापानां शास्तां वैवस्वतौ यमः।।
हिन्दी में भावार्थ-अपने मन और इंद्रियों को वश में करने वाले शिष्यों के शासक उनके गुरु, दुष्टों के शासक राजा और छिपकर पाप करने वालों शासक सूर्य होते हैं।
अथ प्रच्छन्नपापानां शास्तां वैवस्वतौ यमः।।
हिन्दी में भावार्थ-अपने मन और इंद्रियों को वश में करने वाले शिष्यों के शासक उनके गुरु, दुष्टों के शासक राजा और छिपकर पाप करने वालों शासक सूर्य होते हैं।
दिवसेनैव तत् कुर्यातफ येन रात्री सुखं वसेत।
अष्टामासेन तत् कुर्यात् येन वर्षाः सुखं वसेत्।।
हिन्दी में भावार्थ-नीति विशारद विदुर जी के अनुसार पूरे दिन वही काम करें जिससे रात्रि को आराम से नींद आ सकें और आठ महीने वह काम करें जिससे चार मास बरसात के आराम से व्यतीत हों।
अष्टामासेन तत् कुर्यात् येन वर्षाः सुखं वसेत्।।
हिन्दी में भावार्थ-नीति विशारद विदुर जी के अनुसार पूरे दिन वही काम करें जिससे रात्रि को आराम से नींद आ सकें और आठ महीने वह काम करें जिससे चार मास बरसात के आराम से व्यतीत हों।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-रात्रि को चैन से नींद आना ही प्रतिदिन का मोक्ष प्राप्त करना है। जब हम मोक्ष की प्राप्त करते हैं तो वह केवल मृत्यु के बाद का ही विषय नहीं है बल्कि जीवन में रात्रि का पहर भी मोक्ष के रूप में ही व्यतीत होता है जब हम नींद लेकर अपनी देह और मन को अगले दिन के लिये तैयार करते हैं। अनेक बार क्रोध या निराशा आने पर हम अपने व्यवहार में उग्रता लाते हैं जिससे हमारी मुट्ठियां भिंच जाती हैं। उस समय आवेश में आकर हम विचार नहीं करते पर बाद में पछतावा होता है। यह पछतावा इतना होता है कि हमें रात भर नींद नहीं आती। एक बात तय रही कि हम अगर किसी के लिये तनाव पैदा करेंगे तो वह भी यही करेगा और हम शांति से नहीं बैठ सकते।
इसलिये बेहतर यही है कि हमेशा अपना व्यवहार अच्छा रखें, मीठी वाणी बोले तथा समर्थ होने पर दूसरे की मदद कर अपने मित्र बनायें। एक बात याद रखें मुट्ठी बहुत देर तक कोई भी बंद नहीं रख सकता क्योंकि इससे पैदा खिंचाव देह का अस्थिर करता है। इसलिये ही हाथ तो खोलने ही पड़ते हैं ताकि सहजता पैदा हो। जीवन सहजता से जीने का यही उपाय है कि अपने व्यवहार में हमेशा सात्विकता बनाये रखें।
संकलक,लेखक एवं संपादक-दीपक भारतदीप,Gwaliorhttp://anant-shabd.blogspot.com------------------------
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1 comment:
जीवन का जो मर्म समझते
लम्बी तान सदा सोते न
यदि सार्थक कर पाते दिन तो
रातों को उठकर रोते न।
सत्य वचन!
होली की हार्दिक शुभकामनाएं!
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