Saturday, May 30, 2009

मनुस्मृति-नाचने-गाने, वाद्य यंत्र बजाने और बिना प्रयोजन कुतूहल से बचें

न कुर्वीत वृथा चेष्टां न वार्य´्जलिना पिबेत्।
नौत्संगे भक्षयेद् भक्ष्यानां जातु स्यात्कुतूहली।।
हिंदी में भावार्थ-
मनुमहाराज कहते हैं कि जिस कार्य को करने से अच्छा फल नहीं मिलता हो उसे करने का प्रयास व्यर्थ है। अंजली में भरकर पानी और गोद में रखकर भोजन करना ठीक नहीं नहीं है। बिना प्रयोजन का कौतूहल नहीं करना चाहिए।
न नृत्येन्नैव गायेन वादित्राणि वादयेत्।
नास्फीट च क्ष्वेडेन्न च रक्तो विरोधयेत्।।
हिंदी में भावार्थ-
मनुमहाराज कहते हैं कि नाचना गाना, वाद्य यंत्र बजाना ताल ठोंकना, दांत पीसकर बोलना ठीक नहीं और भावावेश में आकर गधे जैसा शब्द नहीं बोलना चाहिये।
वर्तमान संदर्भ में संपादकीय व्याख्या-जब आदमी तनाव रहित होता है तब वह कई ऐसे काम करता है जो उसकी देह और मन के लिये हितकर नहीं होते। लोग अपने उठने-बैठने, खाने-पीने, सोने-चलने और बोलने-हंसने पर ध्यान नहीं देते जबकि मनुमहाराज हमेशा सतर्क रहने का संदेश देते हैं। अक्सर लोग अपनी अंजली से पानी पीते हैं और बातचीत करते हुए खाना गोद में रख लेते हैं-यह गलत है।
जब से फिल्मों का अविष्कार हुआ है लोगों का न केवल काल्पनिक कुतूहल की तरफ रुझान बढ़ा है बल्कि वह उन पर चर्चा ऐसे करते हैं जैसे कि कोई सत्य घटना हो। फिल्मों की वजह से संगीत के नाम पर शोर के प्रति लोग आकर्षित होते हैं।
मनुमहाराज इनसे बचने का जो संदेश देते है उनके अनुसार नाचना, गाना, वाद्य यंत्र बजाना तथा गधे की आवाज जैसे शब्द बोलना अच्छा नहीं है। फिल्में देखना बुरा नहीं है पर उनकी कहानियों, अभिनेताओं, अभिनेत्रियों को देखकर कौतूहल का भाव पालन व्यर्थ है इससे आदमी का दिमाग जीवन की सच्चाईयों को सहने योग्य नहीं रह जाता।

नाचने गाने और वाद्य यंत्र बजाना या बजाते हुए सुनना अच्छा लगता है पर जब उनसे पृथक होते हैं तो उनका अभाव तनाव पैदा करता है। इसके अलावा अगर इस तरह का मनोरंजन जब व्यसन बन जाता है तब जीवन में अन्य आवश्यक कार्यों की तरफ आदमी का ध्यान नहीं जाता। लोग बातचीत में अक्सर अपना प्रभाव जमाने के लिये किसी अन्य का मजाक उड़ाते हुए बुरे स्वर में उसकी नकल करते हैं जो कि स्वयं उनकी छबि के लिये ठीक नहीं होता। कहने का तात्पर्य यह है कि उठने-बैठने और चलने फिरने के मामले में हमेशा स्वयं पर नियंत्रण करना चाहिए।
........................
यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द लेख पत्रिका
2.शब्दलेख सारथि
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

No comments:

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels