Wednesday, December 24, 2008

कौटिल्य संदेश: बुद्धिमान लोग संकट में भी अपना संयम नहीं खोते

1.चम्पा के साथ रखने से तिलों में वैसे ही सुगंध आ जाती है, पर रस खाया नहीं जाता। उसकी सुगंध तिलों में जाती है। इस प्रकार संपूर्ण गुण अपना प्रभाव छोड़ते हैं भले ही उनको प्रत्यक्ष या सीधे ग्रहण नहीं किया जाता।

संक्षिप्त व्याख्या-किसी भी अच्छे या बुरे व्यक्ति से संपर्क करने पर उसका प्रभाव होता है। जिस तरह चंपा का रस नहीं कोई पीता नहीं पर उसकी सुगंध अपना प्रभाव छोड़ती है उसी प्रकार से जब किसी अच्छे व्यक्ति की संगति की जाती है तो वह कोई अपने गुण नहीं डाल देता पर उसका प्रभाव संगत करने वाले पर स्वतः ही होता है। अगर किसी ज्ञानी या विद्वान से संगत की जाये तो वह स्वयं कोई बात न बताये पर उसकी बात सुनते हुए संगत करने वाला स्वतः ही ज्ञान प्राप्त करता जाता है।
2.बुद्धिमान भले ही परेशानी में रहे पर पर अपना शुद्ध आचरण रखता है इसके लिये उसकी प्रशंसा भी होती है। वह कभी भी अपयश का भागी नहीं बनता।

संक्षिप्त व्याख्या-यह जीवन तो उतार चढाव से भरा है। अमीरी गरीबी और बीमारी हारी का चक्र चलता रहता है। मुख्य बात यह है कि कोई व्यक्ति उनका सामना कैसे करता है। बुद्धिमान लोग अपना संयम नहीं खोते और तनाव के बावजूद अपने आचरण से भ्रष्ट नहीं होते। इसी कारण समाज में उनका संघर्ष उदाहरण बनता है। वह कभी भी अपयश के भागी नहीं बनते। बुद्धिहीन लोग अपना संयम खोकर अनैतिक आचरण पर उतर आते हैं पर बुद्धिमान समय की बलिहारी मानकर अपने निश्चय पर डटे रहते हैं। उनके जीवन से दूसरे लोग सीखते हैं। समाज में सर्वत्र उनकी प्रशंसा होती है।
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