भक्ति करै नित शब्द सतगुरु यौं समुझाय
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं सत्य के शब्द का ज्ञान कराने वाला गुरु तो शब्द ही है और देह का ज्ञान कराने वाली तो देह ही है। नित्य शब्द के उच्चारण और भगवान का स्मरण करने से ही सच्चा ज्ञान प्राप्त कर सकता है।
एक शब्द सुख खानि है, एक शब्द दुख रासि
एक शब्द बन्धन कटै, एक शब्द गल फांसि
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि एक शब्द ऐसा होता है जो अपने साथ दूसरों के भी सुख प्रदान करता है और एक ऐसा हो दुख ही देता है।
एक शब्द ऐसा होता है जिससे अपने सारे बंधन कट जाते हैं और एक ऐसा होता है जो गले की फांसी बन जाती है।
शब्द खोजि मन बस कर, सहज जोग है येह
सत्त शब्द निज सार है, यह तो झूठी देह
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि हर मनुष्य को सत्य का ज्ञान होना चाहिए तभी उसका मन बस में रहता है। सत्य ही जीवन का सार है और यह देह तो झूठी है जो धीरे धीरे नष्ट होने की तरफ बढ़ती जाती है।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप
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