2.संसार में धनियों को प्रायः भोजन करने की शक्ति नहीं होती किंतु दरिद्र के पेट में तो काठ की हजम हो जाते हैं।
3.दुष्ट पुरुषों को जीविका न होने से भय लगता है, मध्यम श्रेणी का पुरुष सदैव मृत्यु से भयभीत रहता है। परंतु उत्तम पुरुष को अपमान से ही भय रहता है।
3.शराब पीने का नशा आदमी पढ़ चढ़ता है किंतु वैभव और संपत्ति का नशा तो बहुत ही बुरा है क्योंकि उसके मद में आदमी अपना होश खोकर धर्म से भ्रष्ट हो जाता है।
4.जिस मनुष्य की इद्रियां अपने वश में नहीं होने के कारण विषय में रमती हैं वह इस संसार में भांति भांति के कष्ट पाता है, जैसे सूर्य आदि ग्रहों से नक्षत्र कष्ट पाते हैं।
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संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप
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