2.संपूर्ण प्राणियों के प्रति कोमलता का भाव रखना, किसी गुणवान के दोष न देखना, क्षमाभाव, धैर्य और मित्रों का अपमान न करने जैसे गुणों का धारण करने से आयु बढ़ती है।
3.इंद्रियों को रोक पाना तो मृत्यु से भी अधिक कठिन है और उन्हें अनियंत्रित होने देना तो अपने पुण्य और देवताओं का नाश करना है।
4. जो अपने संभावित दुःख को का प्रतिकार करने का उपाय जानता है और वर्तमान में अपने कर्तव्य के पालने में दृढ़ निश्चय रखने वाला है और जो भूतकाल में शेष रह गये कार्य को याद रखता है वह मनुष्य कभी भी आर्थिक दृष्टि से गरीब नहीं रह सकता।
5.जो शक्तिहीन है वह तो सबके प्रति क्षमा का भाव अपनाये। जो शक्तिशाली है वही धर्म के लिए क्षमा करे तथा जिसकी दृष्टि में अर्थ और अनर्थ दोनों ही समान है उसके लिये तो क्षमा सदा ही हितकारिणी है।
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप
2 comments:
सुन्दर वचन।आभार।
प्रेरक पोस्ट ....शुक्रिया
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