Sunday, June 8, 2008

संत कबीर वाणीःबैल बनाते हुए पुरुष बना डाला

बैल गढन्त पर गढ़ा, चूका सींग न पूंछ
एकहि गुरु के नाम बिनु, धिक दाढ़ी धिक मूंछ


संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि परमात्मा ने बैल को रचते हुए ही पुरुष की रचना कर डाली बस उसने सींग व पूंछ न लगाने की गलती की। सद्गुरु के ज्ञान के बिना उसकी दाढ़ी मूंछ को धिक्कार है।

संक्षिप्त व्याख्या-यहां कबीरदास जी पुरुष के अहंकार को चुनौती देते हुए कहते हैं कि वह सोचता है कि उसका परिवार उसकी शक्ति पर ही चल रहा है और वह इसलिये हमेशा केवल अपने व्यवसाय और नौकरी में जुटा रहकर भक्ति भाव से परे रहने की गलती करते हुए अपना पूरा जीवन व्यर्थ ही नष्ट कर देता है।

हे मतिहीनी माछीरी, राखि न सकी शरीर
सो सरवर सेवा नहीं, जाल काल नहिं कीर


संत शिरोमणि कबीरदासजी कहते हैं कि बुद्धिहीन मछली अपनी देह की रक्षा नहीं कर सकी क्योंकि उसने गहरे सरोवर का सेवन नहीं किया और जहां जाल रूपी काल उसके पास नहीं पहुंच सकता था। वह तो ऊपर ही तैरती रही और शिकारी के जाल में फंस गयी।

संक्षिप्त व्याख्या-सद्गुरु के ज्ञान के अभाव में मनुष्य सदैव ही मोह माया में चक्कर में फंसा रहता है और परमात्मा का स्मरण नहीं करता और जब अंतकाल आता है तो पछताता है। आदमी अपने जीवन को अक्षुण्ण मानकर भौतिक वस्तुओं का संग्रह करता है पर भक्ति करने के नाम पर नाकभौ सिकोड़ता है। अपना पूरा जीवन ऐसे ही व्यर्थ नष्ट कर देता है। ज्ञान के अभाव में वह जीवन के रहस्यों से अनभिज्ञ रहते हुए ही अपना शरीर त्याग देता है।

1 comment:

Udan Tashtari said...

आभार इस प्रस्तुति का.

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels