हम जाने थे खायंगे, बहुत जिमीं बहु माल
ज्यों का त्यों ही रहि गया, पकडि ले गया काल
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते है कि हम तो इसी विचार में रहते हैं कि इस दुनियां में रहकर बहुत सारे माल जमाकर उसका उपभोग करेंगे पर जब काल पकड़ कर ले जाता है तो सब यहीं रखा रहा जाता है।
पंथी उभा पंथ सिर, बगुचा बांधा पूंठ
मरना मुंह आगे खड़ा, जीवन का सब झूठ
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि मनुष्य इस संसार में एक पथिक की तरह होता है जो अपने सिर पर अपनी चिंताओं का बोझ लिये चला जाता है। उसके सामने हमेशा काल खड़ा रहता है और वह झूठ के सहारे चलते हुए थका हुआ लगता है।
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago
2 comments:
पर तब भी लोग इसी के (माल ) पीछे भागते रहते है।बाज नही आते है।
सही है.आभार.
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