Thursday, March 6, 2008

रहीम के दोहे:संसार को सूक्ष्म रूप में देखें

रूप, कथा, पद, चारु, पट, कंचन, दोहा, लाल

ज्यों ज्यों निरखत सूक्ष्मगति , मोल रहीम बिसाल

कविवर रहीम कहते हैं की सुन्दरता, कथा, काव्य, आकर्षक वस्त्र सोना, दोहा और अपने पुत्र का जब सूक्ष्म रूप में देखते हैं तो उनका महत्व बढ़ जाता है।

लेखकीय अभिमत- रहीम जी ने हर बात गूढ़ अर्थों में अपनी बात कही है। यह संसार बहुत सुन्दर हैं अगर हम उसका आनंद उठाएं पर यह तभी संभव है जब उसे निर्लिप्त भाव से देखें। अगर हम इसे गहराई और सूक्ष्म रूप से देखें तो इसमें परमात्मा की कला के दर्शन होते हैं। हम इसे भोगने के साथ निहारें तो इसमें परमात्मा के सुंदर स्वरूप के दर्शन होंगे। सुन्दर वस्त्रों को देखते हैं और फिर ध्यान कर पृथ्वी पर फ़ैली हरियाली को देखें तो वह उसी सुन्दर वस्त्रों की जननी है। कहीं कविता सुनते हैं तो उसमें छिपे गूढ़ अर्थों को समझें तभी आन्नद आता है। अक्सर कवियों का मजाक उडाया जाता है पर वह अपने अनुभव से जो सृजन करते हैं उसकी अनुभूति वही कर सकता है जो उसे ध्यान से पढता और सुनता है। सोना और अपनी संतान को सूक्ष्म रूप में देखना चाहिऐ किकिस तरह परमात्मा ने इस संसार का सृजन किया है। हम केवल बाह्य रूप देखते हैं और अपना समझकर उसमें तल्लीन हो जाते हैं और यही हमारे दुख का कारण बनता है। हमें इस तरह देखना चाहिए कि यह परमात्मा के ही देन और रचना है इसी को सूक्ष्म रूप से देखना कहते हैं। इससे मन में निर्लिप्ता और निष्काम भाव उत्पन्न होता है जीवन का आनंद वास्तविक रूप में तभी महसूस किया जा सकता है।

5 comments:

Ghost Buster said...

आपकी इस पोस्ट के माध्यम से अपने एक दुःख को व्यक्त करना चाहता हूँ.

कुछ bloggers की comment moderation की policy से परेशान हूँ. अब कल ही श्री क्रिशन लाल 'क्रिशन' जी की कविता नुमा पोस्ट "अब नया हम गीत लिखेंगे" पर अपनी टिप्पणी दी थी. पर उन्होंने उसे पोस्ट पर जाने लायक नहीं समझा. आप ही देखिये, क्या कुछ ग़लत कहा था मैंने:

"कोई पन्द्रह वर्ष पूर्व मेरे दस वर्षीय भतीजे महोदय को अचानक कविता लिखने का शौक़ चर्राया था. आपकी कविता पड़कर बरबस ही उन कविताओं की याद आ गई. आप भी थोड़ा और प्रयास करें तो उस स्तर को छू सकते हैं."

हाँ महक जी की प्रशंसा और समीर लाल जी के व्यंग्य को सधन्यवाद प्रकाशित किया है. मैं बड़ा क्षुब्ध हूँ इस घटना से.

दीपक भारतदीप said...

आप छद्म नाम रखकर ऐसी टिप्पणिया रखते हैं कि हम ब्लोगरों को मजबूर होकर अपना मोड्रेशन का अधिकार रखना पड़ता है. आपको मौका मिला और टिपण्णी रख गए और इस अनावश्यक टिप्पणी को तो मैं नहीं हटा पर रहा है क्योंकि इसको कैसे हटाएं मुझे पता नहीं और पूरी पोस्ट को हटाने से बाकी लोग इसे पढ़ने से वंचित हो जायेंगे. अब इस ब्लोग पर मेरी अनुमति के बिना कोई टिप्पणी नहीं हो पायेगी क्योंकि मैंने मोड्रेशन का अधिकार अपने पास रख लिया है. बाकी दूसरों को स्तरीय कविता लिखने की सलाह देने वाले महानुभाव आप ही लिख कर बताएं. कविता लिखना कोई आसान काम नहीं है. मुझे खेद है कि आपने ऐसा व्यवहार किया. किसी कविता के प्रतिकूल टिप्पणी करने से में सहमत नहीं होता क्योंकि में स्वयं एक कवि हूँ.
दीपक भारतदीप

Ghost Buster said...

just want your attention to this: Dr. Parveen Chopra's post

What do you say?

Ghost Buster said...

और ये रहा किसी भी अवांछित टिप्पणी को पोस्ट से हटाने का तरीका:

login कीजिये अपने आईडी के साथ. उस पेज पर जाइए जहाँ वह टिप्पणी है. post a comment पर क्लिक कीजिये. अब इस पेज पर सभी टिप्पणियों के नीचे एक dustbin नज़र आएगा. बस इसी पर क्लिक करने की देर है. बाकी आप ख़ुद देख लेंगे. और हाँ अगर आप चाहें तो इसी प्रकार से अपनी ख़ुद की किसी भी पुरानी टिप्पणी को भी मिटा सकते हैं किसी भी ब्लॉग पर से.

दीपक भारतदीप said...

आपका धन्यवाद
अब आपको कभी कमेन्ट के लिए मेरे modreshan का इन्तजार नहीं करना पड़ेगा
दीपक भारतदीप

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