Wednesday, January 9, 2008

रहीम के दोहे:स्त्री को दीपक की तरह आवरण में रखो

जो रहीम दीपक दसा, तीय राखत पट ओट
समय परे ते होत है, वही पट की चोट

कविवर रहीम कहते हैं कि अपनी स्त्री को दीपक की तरह आवरण में रखो। जैसे हवा लगने से दीपक बुझ जाता है उसी प्रकार पुरुष द्वारा किये गए बुरे व्यवहार से स्त्री का मन आहत हो जाता है।

जो रहीम पगतर परो, रगरि नाक अरु सीस
निठुर आगे रोयबो, अंस गारिबो खीस


कविवर रहीम कहते हैं कि मैं उसके चरणों में गिर पडा। अपना मस्तक और नाक भी रगड़ दी परन्तु निष्ठुर व्यक्ति के समक्ष रोने से अश्रुधारा प्रवाहित करना भी व्यर्थ हो गया।

भावार्थ-अगर किसी व्यक्ति का यह पता लग जाये कि वह निष्ठुर स्वभाव का है तो उसके पास जाकर किसी भी प्रकार की याचना और प्रार्थना करना व्यर्थ है।

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