सभी हिन्दी प्रचार माध्यम जब किसी प्रतिष्ठत
भारतीय धर्म के पेशेवर व्यक्तित्व की छवि खराब करने के लिये संयुक्त शब्द आक्रमण
करते हैं तब हम जैसे लोगों के लिये मजाक जैसा वातावरण बन जाता है। प्रचार कर्मी
अक्सर कहते हैं कि अमुक व्यक्ति धर्म के नाम पर भोले भाले भक्तों का ठग रहा
है। उस समय हमें लोगों के लोभ या लालच से
पनपे अज्ञान की बजाय इन प्रचार कर्मियों पर हंसी आती है। यह सभी जानते हैं कि भारत में प्रचार माध्यम
सैद्धांतिक रूप से ही स्वतंत्र दिखते हैं
पर उनका आर्थिक स्वामित्व दो नंबर ही नहीं वरन् काले धंधे वालों के हाथ में ही है। एक टीवी चैनल ने ही बकायदा इस व्यवसाय में उन सफेदपोशों के
स्वामित्व को उजागर करने के लिये अभियान के रूप में एक कार्यक्रम प्रारंभ किया है
जिनके पास काला पैसा है या उनका धंधा काला है।
भारत में धर्म चर्चा एक व्यवसाय की तरह भी है। व्यवसाय में ऊंची नीच होता ही है। इसलिये हिन्दी समाचार प्रसारण व्यवसायियों के
अनुचरों को रोज एक खलनायक विज्ञापनों के
बीच समाचारा और बहस की सामग्री प्रसारण के लिये मिल ही जाता है। कभी गोल्डन बाबा, कभी राधे मां तो कभी
सारथी बाबा। एक बात मजे की होने के साथ ही संदेहास्पद भी लगती है कि सभी निजी
हिन्दी समाचार प्रसारण एक साथ ही एक ही खबर पर हमले करते हैं। कभी कभी तो लगता है
कि इन समाचार व्यवसायी इन पेशेवर धार्मिक
गुरु आसान शिकार की तरह लगते हैं जिसका
चाहे जब हमला कर देते हैं। भारत के योग तथा ज्ञान साधकों की इन पेशेवर ठेकेदारों
से कोई सहानुभूति नहीं है पर प्रचार माध्यम जिस तरह हल्के विषयों को भी गंभीर और
देश के लिये महत्वपूर्ण विषयों को हल्का बनाते हैं वह भी उनको हैरानी काी बात लगती
है। इन समाचार माध्यमों में अधिकतर ऐसे विद्वान हैं जो अंग्रेजी शिक्षा के कारण विदेशी आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक तथा धािर्मक
विचारधाराओं को श्रेष्ठ मानते हैं। इन विदेशी विचाराधाराओं के पोषक बुद्धिजीवी और
प्रचारक जब धर्म के ठेकेदारों की कमाई से चिढ़ते हैं तो हंसी आती है। उनकी कुंठा
देखते ही बनती है।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
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