दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं
ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिट कूदि चढिं
कविवर रहीम कहते हैं की जैसे खेल दिखाते हुए नत कूद-कूदकर अपने आपको सावधानी से संभालता हुआ शीघ्रता से ऊपर की नोंक पर कूद-कूदकर अपने आपको सावधानी से संभालता हुआ शीघ्रता से ऊपर बांस की नोंक पर कुंडली मारकर चढ़ जाता है, उसी प्रकार रहीम के दोहों में शब्द तो कम हैं परन्तु अर्थ बहुत गहरा है.
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
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रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
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हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
6 years ago