रहिमन रहिला की भली, जो परसै चित लाय
परसत मन मैलो करे, सो मैदा जरि जाय
कविवर रहीम कहते हैं कि बेसन का आटा हितकर है क्योंकि उसको प्रेम से शरीर पर मला जाता है जबकि जो तन और मन को गंदा करता है उस मैदा का नष्ट होना ही अच्छा है।
भावार्थ- जिस प्रकार के आचरण, विचार और कार्य से हमारा स्वयं का मन शुद्ध होता हो, दूसरे का उपकार होता है और लोगों की बीच अच्छी छवि बनती है वह अच्छा है और उसी तरफ अपनी दृष्टि रखनी चाहिऐ। हमें मन में ऐसा कोई विचार नहीं लाना चाहिए जिससे अपने या दूसरे के प्रति वितृष्णा का भाव पैदा होता हो। अपने आचरण और कार्य से किसी को हानि पहुँचती है तो उसको नहीं करना चाहिऐ। बुरे विचार को नष्ट कर देना चाहिऐ।
जबकि आजकल हम देख रहे हैं कि किसी को अपमानित कर लोग अपने को सम्मानित समझते हैं और दूसरे को हानि पहुंचाने में अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते हैं और इतना ही नहीं अपने बच्चो को भी ऐसे संस्कार भरते हैं जो बाद में उनके लिए ही भयावह सिद्ध होते हैं। जो अपने कुकर्मों और बाहुबल से प्रभाव बनाते हैं लोग उनको सम्मान देते हैं और उनके प्रति आदर भाव व्यक्त करते हैं। जबकि उनकी तरफ से मुहँ फेर लेना चाहिऐ। बुरा व्यक्ति, आचरण, विचार और सामान त्याग देना चाहिऐ।
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
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रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
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हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
6 years ago