Tuesday, January 27, 2009

विदुर नीति: भेदभाव करने वाले का विनाश निश्चित

1.थोड़े धन वाले कुल भी सदाचार से संपन्न है तो भी वे अच्छे कुलों में मान लिये जाते हैं और उनको यश प्राप्त होता है।
2.मन को प्रिय लगने वाली वस्तु शोक करने से प्राप्त नहीं होती। शोक से तो केवल शरीर का नाश होता है। इसे देखकर शत्रु प्रसन्न होते हैं।
3.जैसे हंस सूखे सरोवर के आसपास मंडराते रह जाते हैं और उसके अंदर प्रविष्ट नहीं होते। वैसे ही जिसके मन में चंचलता का भाव है वह अज्ञानी इंद्रियों के का गुलाम बन कर रह जाता है और उसे अर्थ की प्रािप्त नहीं हेाती।
4.विद्या,तप,संयम और त्याग के अलावा शांति का कोई उपाय नहीं है।
5.भले की बात कहीं जाये तो भी उन्हें अच्छी नहीं लगती। उनकी योग से भी सिद्धि नहीं हो पाती। भेदभाव करने वाले आदमी की विनाश के सिवा और कोई गति नहीं है।
6.जो भेदभाव करते हैं उनके लिये धर्म का आचरण करना संभव नहीं है। उनको न तो सुख मिलता है न ही गौरव। उनको शांति वार्तालाप करना नहीं सुहाता।
.......................................

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है। अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्दलेख पत्रिका
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

समस्त ब्लॉग/पत्रिका का संकलन यहाँ पढ़ें-

पाठकों ने सतत अपनी टिप्पणियों में यह बात लिखी है कि आपके अनेक पत्रिका/ब्लॉग हैं, इसलिए आपका नया पाठ ढूँढने में कठिनाई होती है. उनकी परेशानी को दृष्टिगत रखते हुए इस लेखक द्वारा अपने समस्त ब्लॉग/पत्रिकाओं का एक निजी संग्रहक बनाया गया है हिंद केसरी पत्रिका. अत: नियमित पाठक चाहें तो इस ब्लॉग संग्रहक का पता नोट कर लें. यहाँ नए पाठ वाला ब्लॉग सबसे ऊपर दिखाई देगा. इसके अलावा समस्त ब्लॉग/पत्रिका यहाँ एक साथ दिखाई देंगी.
दीपक भारतदीप की हिंद केसरी पत्रिका


इस लेखक की लोकप्रिय पत्रिकायें

आप इस ब्लॉग की कापी नहीं कर सकते

Text selection Lock by Hindi Blog Tips

हिंदी मित्र पत्रिका

यह ब्लाग/पत्रिका हिंदी मित्र पत्रिका अनेक ब्लाग का संकलक/संग्रहक है। जिन पाठकों को एक साथ अनेक विषयों पर पढ़ने की इच्छा है, वह यहां क्लिक करें। इसके अलावा जिन मित्रों को अपने ब्लाग यहां दिखाने हैं वह अपने ब्लाग यहां जोड़ सकते हैं। लेखक संपादक दीपक भारतदीप, ग्वालियर

विशिष्ट पत्रिकायें

Blog Archive

stat counter

Labels