आज पठानकोट में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादी हमला होने का मतलब यह है कि पाकिस्तान पर बाहर से नहीं वरन् अंदर घुसकर कूटनीतिक
प्रयासों से उस नियंत्रण करना होगा। इसका आशय युद्ध करने से न लें। इस हमले के बाद
निष्कर्ष यह समझ में आता है कि पाकिस्तान के अंदर कूटनीति से विभाजन कर उस पर नियंत्रण
किया जाये। पाकिस्तान विभिन्न जातीय, भाषाई तथा सांस्कृतिक समूहों में बंटा है जिसे जबरन धर्म की छत के नीचे लाया
गया है-कूटनीति से उसे काबू करना होगा। पाकिस्तान पर पंजाब प्रांत के प्रभावशाली लोगों
का कब्जा है जिसे समाप्त किये बिना भारत में शांति संभव नहीं है।
पाकिस्तान की केंद्र
सरकार का पूरे देश पर नियंत्रण न रहा है न आगे हो सकता क्योंकि उसकी सक्रियता केवल
लाहौर को ही चमकाने तक ही सीमित रहती है। पाकिस्तान सरकार में पंजाब में भी केवल लाहौर तक ही देखती है जबकि
वहां मुल्तान व बहावलपुर जैसे एतिहासिक क्षेत्र हैं जिन पर सरकार ध्यान नहीं देती।
वहां विकास की अपार संभावना हमेशा रही है पर पाकिस्तान में उसकी उपेक्षा की जाती है
ताकि भारत भेजने के लिये आतंकी मिल सकें। किसी समय भारत के कराची, मुल्तान, सक्खर व पेशावर शान हुआ
करते थे पर पाक बनने के बाद तबाह हो गये। आज वहां आतंक के कारखाने हैं। पाकिस्तान का
अभिजात्य वर्ग वहां के लोगों की गरीबी का लाभ उठाकर उन्हें आतंकी बनाकर भारत भेजता
है ताकि उसका अस्तित्व बना रहे। पाक के अभिजात्य वर्ग की गरीबों को आतंकी बनाकर भेजने
की नीति तब तक चलती रहेगी जब तक कूटनीति से उस पर वैसा संकट नहीं लाया जायेगा जैसा
वह दूसरों के लिये बना रहा है।
पाकिस्तान का चार
भागों में विभाजन हो जाना ही भारतीय उपमहाद्वीप क्षेत्र में शांति बनाये रखने का एकमात्र
उपाय है-पाकिस्तान का सिंध, ब्लूचिस्तान व सीमाप्रांत पंजाबी प्रभाव से बाहर होने की रणनीति सफल होने पर ही भारत विकास कर पायेगा। धार्मिक आधार पर बने पाकिस्तान
का वैमनस्य भाव कभी खत्म नहीं होगा-यह तय समझें। पाकिस्तानी समाज में भारतीय समाज के
प्रति सोहार्द भाव की आशा करना ही रेत में
घी ढूंढने के समान है। ब्लूचिस्तान, सिंध और सीमाप्रांत के लोग
पंजाबी प्रभाव वाले शासन व सेना से चिढ़ते हैं जिसका भारतीय कूटनीतिज्ञ लाभ उठाकर पाकिस्तान
का विभाजन करा दें तो वास्तव में हमारा देश विश्वशक्ति कहलायेगा। पाकिस्तान का 4 भागों में विभाजन इस तरह करवाना चाहिये कि सभी भाग
भारत पर अपनी आवश्यकताओं के लिये इतने आश्रित
रहें कि प्रतिकूल कोई कार्यवाही का सोच भी न सकें।
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दीपक राज कुकरेजा ‘‘भारतदीप’’
ग्वालियर मध्यप्रदेश
ग्वालियर मध्यप्रदेश
Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep"
Gwalior Madhyapradesh
संकलक, लेखक और संपादक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’,ग्वालियर
athor and editor-Deepak Raj Kukreja "Bharatdeep",Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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