रहिमन दुरदिन के परे, बडे न किए घटि काज
पांच रूप पांडव भए, रथवाहक नल राज
कविवर रहीम कहते हैं कि बुरे दिनों में भी छोटे कार्य किये। अज्ञातवास में पांडवों ने पांच स्वरूप धारण किए, इसी तरह राजा नल को भी विपत्ति में छोटा कार्य करना पडा। उन्हें भी सारथी बनना पडा था।
रहिमन दानि दरिद्र तर, तऊ जांचबे योग
ज्यों सरितां सूखा परे, कुआं खनावत लोग
कविवर रहीम कहते हैं कि दानी और निर्धन की तभी परीक्षा तभी होती हैं जब उनके पास धन समाप्त हो जाता जैसे नदियों का जल सूख जाने पर लोग कुआं खुदवातेहैं
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago