रोल बिगाड़े राज ने, मोल बिगाड़े माल
सनै सनै सरदार की, चुगल बिगाड़े चाल
कविवर रहीम कहते हैं कि राज्य पानी के बहाव को बिगाड़ देता है. मोलभाव करने से माल का महत्व कम हो जाता है. धीरे धीरे मुखिया की चुगलखोरी आचरण को बिगाड़ देती है।
भावार्थ- राज्य के मद में आदमी अहंकारी हो जाता है और पथ भ्रष्ट हो जाता है. किसी वस्तु का मूल्य अधिक माँगा जाता है तो लोग उसे खरीदने से इनकार कर देते हैं और जब अपने समूह का मुखिया जब अनाप-शनाप बकने लगता है तो लोगों का आचरण भ्रष्ट हो जाता है। मुखिया अपने समूहों को इधर-उधर से ऐसी खबरें (शिकायतें) देता है जिससे लोग उतेजित होकर उसका साथ देते रहे और यह उतेजना पूरे समूह को बुद्धि से भ्रष्ट कर देती है और वह अनावश्यक रूप से ऐसी समस्याओं के लिए आक्रामक हो जाते हैं जो कभी आती ही नहीं।
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
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रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
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हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
6 years ago