प्रत्युत्थानं च युद्ध्र च संविभागं च बन्धुषु
स्वयमाक्रभ्य भुक्तं च शिक्षेेच्चात्वारि कुक्कुटात्
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मनुष्य को अपने जीवन में चार गुण मुर्गे से ग्रहण करना चाहिए, समय पर जागना, युद्ध की ललकार पर उसके लिए तैयार हो जाना, अपने परिवार के साथ मिलकर खाना और अपने खाने के खोज स्वयं करना।
वर्तमान संदर्भ में व्याख्या-जितना ही जीवन में आधुनिक सुविधाओं का समावेश होता जा रहा है लोगों के उठने बैठने और सोने जागने की क्रियाओं पर उसका दुष्प्रभाव हुआ है। सुबह देर से उठने से शरीर में भारीपन रहता है और इसी कारण आदमी कई कामों में आलस करता है। कुछ विद्वान कहते हैं कि सुबह जल्दी उठने से दिमाग में फुर्ती रहती है जो कि जीवन में विकास के लिये आवश्यक होती है। देर से उठने से जो आलस होता है उससे आदमी अपने जीवन में चुनौतियों से भागता है और उससे उसके आत्मविश्वास में कमी आती है। इसलिये समय पर उठने और सोने के नियम बनाना चाहिए। अपने भोजन के मामले में स्वावलंबी होना चाहिए और भोजन परिवार के समस्त सदस्य मिलकर बैठकर करें। अनियमित जीवन से मानसिक अस्थिरता पैदा होती है और जीवन में स्वयं निरर्थक तनाव और संकट में घिर जाते हैं। जीवन में हमेशा ही संघर्ष के लिए तैयार रहना चाहिए।
समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता है-पतंजलि योग सूत्र
(samadhi chenge life stile)Patanjali yog)
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*समाधि से जीवन चक्र स्वतः ही साधक के अनुकूल होता
है।-------------------योगश्चित्तवृत्तिनिरोशःहिन्दी में भावार्थ -चित्त की
वृत्तियों का निरोध (सर्वथा रुक ज...
3 years ago