हम जाने थे खायंगे, बहुत जिमीं बहु माल
ज्यों का त्यों ही रहि गया, पकडि ले गया काल
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते है कि हम तो इसी विचार में रहते हैं कि इस दुनियां में रहकर बहुत सारे माल जमाकर उसका उपभोग करेंगे पर जब काल पकड़ कर ले जाता है तो सब यहीं रखा रहा जाता है।
पंथी उभा पंथ सिर, बगुचा बांधा पूंठ
मरना मुंह आगे खड़ा, जीवन का सब झूठ
संत शिरोमणि कबीरदास जी कहते हैं कि मनुष्य इस संसार में एक पथिक की तरह होता है जो अपने सिर पर अपनी चिंताओं का बोझ लिये चला जाता है। उसके सामने हमेशा काल खड़ा रहता है और वह झूठ के सहारे चलते हुए थका हुआ लगता है।
आनंद उठाने का सबसे अच्छी तरीका यह है कि आप एकांत में जाकर ध्यान
लगायें-चिंत्तन (Anand Uthane ka tareeka-Chinttan)
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रोकड़ संकट बढ़ाओ ताकि मुद्रा का सम्मान भी बढ़ सके।
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हम वृंदावन में अनेक संत देखते हैं जो भल...
6 years ago